'भूतिया स्टेशन' एक ऐसी कहानी है जो तर्क और अंधविश्वास के बीच के संघर्ष को दर्शाती है। यह कहानी विशेष नाम के एक सफल और तर्कवादी व्यक्ति के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी तेज़-रफ़्तार मुंबई की ज़िंदगी से दूर अपने गाँव चमकगंज की यात्रा पर निकलता है। यह यात्रा उसके जीवन को हमेशा के लिए बदल देती है। अपनी यात्रा के दौरान, विशेष एक अनजान और वीरान रेलवे स्टेशन पर उतरता है, जिसे उसने पहले कभी नहीं देखा था। स्टेशन पर न कोई लोग हैं, न कोई दुकान, और न ही कोई चहल-पहल। यह सब देखकर उसे बचपन में सुनी गई 'भूतिया स्टेशन' की कहानियाँ याद आने लगती हैं, लेकिन वह इन बातों को अंधविश्वास मानकर नज़रअंदाज़ कर देता है। स्टेशन पर विशेष की मुलाकात एक चाय वाले से होती है, जो उसे एक अन्य व्यक्ति विश्वास की कहानी सुनाता है। विश्वास भी विशेष की तरह ही एक पढ़ा-लिखा और तर्कवादी इंसान था, जो एक बड़ी कंपनी में