मेरी कलम से...
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Complete, First published Jul 20, 2015
दोस्तों, पिछले लगभग 30 सालों से मैंने अपने जज़्बात और ज़िन्दगी के तज़ुर्बे को ग़ज़लों , गीतों और क़तआत
 ( मुक्तक ) के रूप में ढालने की कोशिश की है । उन्हीं में से कुछ शाहकार आज आप एहबाब की नज़्र करते हुए मुझे इन्तिहाई ख़ुशी का एहसास हो रहा है । उम्मीद है अपनी बेशक़ीमती दुआओं से नवाज़ते हुए मेरी ख़ामियों की सिम्त इशारा भी ज़रूर करेंगे ।
                    " मेरी क़लम से " मेरे दिल के बेहद नज़दीक कुछ ग़ज़लों का संग्रह है......इसे आपके दिलों के नज़दीक पहुँचाने में क़ामयाब हो पाया तो मैं समझूँगा मेरी कोशिश क़ामयाब हुई ।
                                                                                                                                                    आपका अपना
                                                                                                                                                     राकेश ' नादान '
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