Story cover for Ye Chamkeele tare hann! by drumeshpuri
Ye Chamkeele tare hann!
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Ongoing, First published Sep 07, 2016
प्रिय पाठकों,
मन की अभिव्‍यक्ति कर पाना सरल नहीं है। पर मैंने आजीवन समय-असमय जब भी ऐसा करने का प्रयास किया तो कविता के रूप में जो भी बन पाया उसे 'ये चमकीले तारे हैं' में संकलित कर रहा हूं। जीवन में गद्य अधिक लिखा है और पद्य तो यदाकदा। हो सकता है यह प्रयास सार्थक हो या न हो। जैसा भी है आपके समक्ष है। अच्‍छा लगे तो उत्‍साहवर्धन कीजिएगा।
मेरा वॉटपैड पर पहला दिन है। इसका सदस्‍य इसलिए बना क्‍योंकि मुझ स्‍वाध्‍याय अर्थात् पढ़ने में रुचि है। मेरे व्‍यक्तिगत पुस्‍तकालय में अल्‍पतम 3500 पुस्‍तकें हैं। हो सकता है वॉटपैड पर  आपकी रचनाओं में कुछ नया और अच्‍छा पढ़ने को मिले। 
सहयोग व स्‍नेह का आकांक्ष्‍ाी...
सस्‍नेह 
उमेश पुरी
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