" सफर-अनामिका के लफ्जो का "
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Complete, First published Oct 16, 2016
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लगता हैं कि बड़े अच्छे ऑफर देती हैं जिंदगी
असल में तो समझौतों के सफर देती हैं जिंदगी।
.
जैसे जिस गले में होते थे कभी दोस्तों के हाथ
अब वहाँ बस टाय और काँलर देती हैं जिंदगी।
.
इक ख्वाहिश माँ से मिलने की पूरी नहीं हो पातीं
कहने को तो पोझीशन और पाँवर देती हैं जिंदगी।
.
यहाँ खुद से वाकिफ होने का नेटवर्क नहीं मिलता
यूँ तो हर जगह तरह तरह के टाँवर देती हैं जिंदगी।
.
वो गुल्लक वाले सिक्के तो फिर भी नहीं मिलेंगे
जबकि अब सीधे रुपयों से डाँलर देती हैं जिंदगी।
.
कभी मुनाफे में हो बेचैनी, कभी सुकून नुकसान में
बस कुछ ऐसे ही जीने के ऑफर देती हैं जिंदगी।
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