लगता हैं कि बड़े अच्छे ऑफर देती हैं जिंदगी असल में तो समझौतों के सफर देती हैं जिंदगी। . जैसे जिस गले में होते थे कभी दोस्तों के हाथ अब वहाँ बस टाय और काँलर देती हैं जिंदगी। . इक ख्वाहिश माँ से मिलने की पूरी नहीं हो पातीं कहने को तो पोझीशन और पाँवर देती हैं जिंदगी। . यहाँ खुद से वाकिफ होने का नेटवर्क नहीं मिलता यूँ तो हर जगह तरह तरह के टाँवर देती हैं जिंदगी। . वो गुल्लक वाले सिक्के तो फिर भी नहीं मिलेंगे जबकि अब सीधे रुपयों से डाँलर देती हैं जिंदगी। . कभी मुनाफे में हो बेचैनी, कभी सुकून नुकसान में बस कुछ ऐसे ही जीने के ऑफर देती हैं जिंदगी।All Rights Reserved