दोस्तों
इस काव्य संग्रह में इंसानी रिश्तों के बारे में अपनी भावनाओं को व्यक्त किया गया है । यह मेरी प्रथम पुस्तक है , आप लोगों के प्यार ने मुझे आगे लिखने के लिए प्रेरित किया है । धन्यवाद ।
1. माँ
सब संभव हो जाता,
जब तू , साथ मेरे होती ।
तेरे आंचल में माँ , सब गम भूल जाता
तेरा मेरे सिर पे हाथ फेरना माँ
मुझे सुरक्षा का भाव दे जाता
गल्ती होने पे , तेरा डाँटना
मुझे.. अदंर तक तोड जाता
फिर अकेले में ,
तुझे रोता देख माँ......
मैं तुझसे लिपट सब गुस्सा भूल जाता
मेरे खाना न खाने पे माँ..
तू भी भूखी ही सो जाती
मेरी छोटी से छोटी उपल्बधि पे
माँ.. तू बहुत खुश होती
झट से कुछ मीठा बना सबको खिलाती
मेरे बिना कुछ कहे ही
तू सब समझ जाती
जब मैं घर लौटता ,
देहरी पे तुझे इतंजार करते पाता
लेकिन.......
अब तू मुझसे बहुत दूर है...माँ
यह सोच मैं बहुत घबरा जाता
पर दूसरे ही पल जब डयोढी पर
पोती को अपना इतंजार करते पाता
तो...
Ehsaas-e-Zindagi is a heartfelt collection of poems that captures the essence of life's fleeting moments, emotions, and journeys of the poet. Through vivid words and deep reflections, it offers a glimpse into the beauty and struggles of the human experience-Hindi+Urdu poetry.