ओ वुमनिया

39 0 0
                                    

                                               
        कल रातसे आसमान जोरों-शोरों से पिघल रहा था | गरज गरजकर बादल पानी बरसा रहें थे | पलाश की बाहोंमे जब नींद खुली तब जाना के सूरज बादलोंसे निकलने के लिए बेताब हुए जा रहा था, वो जितनी भी कोशिशें करता गरजकर काले बादल उसे अपने अंदर और समेटते जा रहे थे | मुझे पलभर के लिए लगा जैसे कि मैं वो सूरज हूँ और पलाशने उन बादलोंकी तरह मुझे जकड़ रख़ा हो..! मन में ये ख़याल आते ही मैंने उठने की नाकाम कोशिश की और उसने मुझे अपनी बाहोंमे और मज़बूती से जकड़ लिया | उसकी गर्म सांसे मेरे कानोंसे होकर दिमाग तक तूफ़ान मचा रही थी | बिस्तर पर पड़े पड़े खिड़कियों के शिशेसे बहकर छलकती बूंदे देखना मज़बूरी थी | पता नहीं कितने घंटे बीत गए पलाश अभी भी सोया था | रातभर ना खुद सोया ना मुझे सोने दिया | मेरे होठोंसे खून निकलकर सूख गया था छूनेसे वो औरभी दर्दसे जल रहे थे | सिनेपर गहरे लाल-नीले धब्बे बने थे | मेरी हालत पलाश का वहशीपन बयाँ कर रहीं थी | हमारी शादी हुए सिर्फ सालभर ही तो हुआ था | पर घुटन सी होने लगी थी इस रिश्तेसे, पलाश की मर्जी के मुताबिक सब चलता था | उसके लिये मैं बस सेक्स की मशीन बन गयी थी | उसकी मर्जी से जब चाहा, जिधर चाहा | क्या हो गर मैं उसे ना कह दूँ | पर पता नहीं क्यूँ इतनी हिम्मत मैं जुटा नहीं पा रही थी | शायद पलाश का ग़ुस्सेल स्वभाव वजह हो..? या फिर कहीं पलाश ने पापा मम्मी से मेरी शिकायत कर दी तो..? वो क्या सोचेंगे..? माँ ने तो बिदाई के वक्त कहा भी था कभी अपने ससुराल वालों को शिकायत का मौका मत देना | रिश्तेदार, पड़ोसी सब तरफ़ बात फ़ैल गयी तो..? भैय्या और पापा की बदनामी होगी सो अलग | और पलाश तो ये सब होने के बाद मुझे अपनाएगा नहीं, फिर क्या डिव्होर्स..? सोचती भी हूँ तो जी घबरा जाता हैं | वैसे भी कितने अरेंज मॅरेजेस ऐसेही किसी ना किसी शिकायत को दिल में छुपाये सरवाइव करते करते बच्चोंके माता-पिता बन जाते होंगे शायद वैसा ही कुछ हाल हमारा भी होगा | फिर आदत सी हो जाएगी ईसी तरह जीने की | वैसे सेक्स के अलावा देखा जाय तो सब ठीक ही चल रहा था हमारे बीच | पलाश ने आजतक कभी मेरे काम में दखलंदाजी नहीं कि थी | हाँ..! शुरू शुरू में उसे मेरा एन.जी. ओ. के लिए काम करना पसंद नहीं था | वैसे आज भी नहीं हैं लेकिन अब उस बात को लेकर हमारे बीच झगड़े नहीं होते | पर उसकी नजरोंसे नाराजगी साफ़ झलकती रहती हैं | एम.बी.ए. करने के बाद मुझे बँक में अच्छी खासी जॉब मिल गयी थी | उसी दौरान घरेलू हिंसा की शिकार हुई महिलाएं और बच्चों के लिए एन.जी.ओ चला रही मेरी कॉलेज कि दोस्त रीटा से मुलाकात हुई | चकलेपर बैठनेवाली औरतोंके बच्चोंकी पढ़ाई का जिम्मा भी एन.जी.ओ.ने ले रखा था | उसके साथ जाकर देखा तो कॉलेज के कई दोस्त अपना जॉब संभालकर वहाँ काम करते नज़र आये | पता नहीं कब कैसे मैं भी उन में से एक हो गयी | ग़रीब, लाचार महिलाओं को उनका हक़ दिलाना, उनके बच्चों के लिये क़ानून से तो कभी समाज से लड़ना वहाँ पर काम करना मुझे अपने वजूद का एहसास दिलाता था | शादी के पहले से ही आस्था एन.जी.ओ. मेरी पहचान बन चुका था | और पलाश ने बड़ी मुश्किल से अब ईस बात को स्विकार कर लिया था | पलाश एक ऑस्ट्रेलियन कंपनी का सी.ई.ओ. था | मुझे बँक में अब भी जॉब करते रहने की वैसे तो कोई जरूरत नहीं थी, पर काम करना मेरी ज़िद थी | "बच्चे होने के बाद ये सब बंद हो जाना चाहिये", शादी के बाद पहले ही दिन पलाश ने ये धमकी भरी बात मुझसे साफ़ साफ़ लफ़्ज़ों में कह दी थी | ये जॉब और एन.जी.ओ. का काम मैं भला ऐसे ही कैसे छोड़ देती..? इसीलिए पलाश से छुपाकर बर्थ कंट्रोल पिल्स ले रहीं थी | पापा के कहनेपर मैं शादी के लिए तो राज़ी हो गयी थी पर ईतने जल्दी मुझे माँ बनाना मंजूर नहीं था | पिल्स की याद आते ही पलाश का हाथ हटाकर मैं झटसे उठ गई |
"कहाँ भागे जा रहीं हो..?" - पलाशने फिरसे मुझे रोक लिया |
"कहीं नहीं..!"
"अरे..! तो फिर सो जाओ ना.."
"पलाश..! आप सो जाइये, मुझे कॉफी पीनी हैं |"
"ओफ़ो..! कॉफी का नाम लेकर तुमने तो मेरी नींद उड़ा दी | चलो..! साथ में पीते हैं |"
किचन में आतेही पहले मैंने बर्थ कंट्रोलवाली पिल ले ली | फ्रेश होकर कॉफी बना ली तब तक पलाश भी फ्रेश होकर आ गए | बहोत दिनों के बाद हम साथ में कॉफी पी रहे थे | वरना सुबह दोनों को घर छोड़ने की जल्दी रहती | साथ में बैठकर कॉफी पीने जितनी फुरसत कहाँ रहती..? मग़र आज बारीश की वजह से फुरसत ही फुरसत थी | पर पलाश से किस बातपर बात करूँ ये मेरी परेशानी थी | क्यूँकि, सेक्स के अलावा उसे मेरी किसी भी बात में कोई दिलचस्पी नहीं थी | ना तो उसे परवाह थी कि, मैं क्या चाहती हूँ..? मेरी सोच, मेरे विचार क्या हैं..? उसे ईस बात से कोई लेना देना नहीं था | कई बार उससे बात करने की नाकाम कोशिशें की थी मैंने पर उसे कोई रुचि नहीं थी | बस..! रोज़ाना जंगली जानवर की तरह मुझपर टूंट पड़ना | जबरस्ती करना और अब ये दर्दनाक तरीक़े से होनेवाला सेक्स बर्दाश्त के बाहर होते जा रहा था | प्यार जैसी कोई चीज़ हम दोनों के दरमियान नहीं थी | उससे मेरी हालत छुपी नहीं थी | उसके काँटनेसे बने दांत के निशान, गलेपर आयी खरोंचे सब साफ़-साफ़ दिखाई दे रहा था | पर कभी उसने पलभरके लिए भी मुझसे इस बात के लिए माफ़ी नहीं माँगी ना तो प्यार जताया | आज उसके साथ पूरा दिन बिताना मेरे लिए किसी सज़ा से कम नहीं था | ख़ैर..! छोड़ो..! फिलहाल तो पलाश अपने मोबाईल पर लगा था और मैं चुपचाप कॉफ़ी पी रही थी | तभी मेरा मोबाईल बजने लगा देखा तो रीटा का कॉल था,
"कहाँ हो तुम निमा..?"
"बाहर इतनी बारिश हो रही हैं | और कहाँ जाऊँगी..? घर पर ही हूँ..क्यूँ क्या हुआ..? सब ठीक तो हैं..?"
"अरे मेरी जान..ऐसी न्यूज दूंगी के खुश हो जाओगी.."
"बताओ तो सही..क्या हुआ..?"
"वो चंपा की बेटी हैं ना पूजा.."
"हाँ..! पता हैं.. क्या हुआ उसे..?"
"अरी..! उसे कुछ हुआ नहीं..! वो अब डॉक्टर बन गयी हैं | डिस्टिंक्शन मिला हैं | चंपा तो पागल हुए जा रहीं हैं | कहती हैं अब ये प्रॉस्टिट्यूशन की लाईन छोड़ दूँगी और बेटी के साथ शरीफोंवाली ज़िन्दगी बसर करेगी | मैं बहोत खुशी हूँ आज उन दोनों को देखकर |"
"सच में..! ये बात सुनकर तो उनसे मिलने को मन कर रहा हैं | आख़िर हमारी मेहनत रंग ला रही हैं रीटा |" - पलाश गुस्सेसे मुझे तांक रहा था | उसे अनदेखा कर मैं किचन की ओर चली आयी |
"और सुन..! वो रघु बेवड़े की बेटी सोनू को भी मल्टीनॅशनल कंपनी से बुलावा आया हैं | कल इंटरव्यू हैं |"
"क्या बात है रीटा अपनी बेटियाँ तो आसमाँ छूने चली हैं | आज भी याद हैं मुझे वो दिन जब हमनें सोनू को उसके बाप से छुड़ाया था | फुल जैसी नन्ही सी जान को कितना पिटा करता था ये रघु | सोनू तब नौ साल की थी ना...?"
"हाँ..! उसी साल तो तुमने एन.जी.ओ.जॉइन किया था, निमा..!"
"याद हैं..! सोनू को हम घर ले आये थे.."- मेरी आँखें भर आयी |
"तुम्हारे पापा ने अगर उस वक़्त उन बेसहाराओं को रहने की जगह ना दी होती तो पता नहीं हम इन सब बच्चोंको कैसे अपने पैरों पर खड़ा कर पाते..? आज उन्हीं की वजह से हमारा 'आस्था घर' बना हैं |"
"आख़िर पापा किसके हैं..? ये सब उन्हें बताऊँगी तो बहोत खुश हो जाएंगे |"
"तू पागल हैं क्या..? अंकलजी को कॉल कब का कर दिया मैंने | सच में बहोत खुशी का दिन हैं आज..! सुबहसे सबको कॉल किये जा रहीं हूँ |"
"जी करता हैं अभी तुझसे मिलने चली आऊँ |"- मेरी आवाज़ भारी हो गई थी |
"क्या हुआ निमा..? तुम रो रहीं हो क्या..?"
"अरे..! नहीं.. मैं तो बस यूँ ही..ख़ुशी से.."
"पलाश घरपर हैं क्या..?"
"हम्म..!"
"ओह गॉड..! उसने इतनी देर तक तुझसे बात करने दी वहीं काफ़ी हैं मेरे लिए..चल फोन रखती हूं..वरना रूठ जाएगा तेरा हबी..कल मिलेंगे..आना जरूर |"
"शुअर यार..! पक्का आऊँगी..|" - सबको लगता था पलाश मुझसे कितनी मुहब्बत करता हैं | कितना पजेसिव हैं | अगर कभी सच्चाई रीटा के सामने आ गयी तो मेरा डिव्होर्स कराए बिना चुप नहीं बैठेगी | सचमें..! पीड़ित औरतोंके लिए काम करती हूँ, उन्हें उनका हक़ दिलवाती हूँ, उनपर होनेवाले ज़ुल्म से बचाने की हर मुमकिन कोशिशें करती हूँ पर खुद के लिए आवाज़ उठा नहीं पा रहीं हूँ... ईससे बड़ी शर्मिंदगी क्या हो सकती हैं भला..? पर ये शादी टूंटनेसे पापा बहोत दुखी हो जाएंगे | आजतक मेरी हर बात मानी थी उन्होंने, हरवक्त मेरा साथ दिया, मुझे आज़ादी से जीने दिया था | बड़े अरमानों से पलाश से उन्होंने मेरी शादी करायी थी | अब इस उम्र में उनकी आँखों में अपने लिए चिंता मैं नहीं देख सकती |
             सुबह नहाते हुए बदन के कई हिस्सों में जलन से दर्द हो रहा था | फिरभी अलग सा जोश और खुशी अंदर ही अंदर महसूस हो रहीं थी | एन.जी.ओ.जाके सबको मिलना जो था | कल का दिन जैसे-तैसे पलाश के साथ बीत गया उन दर्दनाक पलोंको भूलना था | मैंने हमेशा की तरह अपनी लंबी बाहों वाली, मंडारिन हाय नेक से बंद ज़र्द नीले रंग की कुर्ती पहन ली...ताकि पलाश की हरक़तें दुनिया से छुपी रहें | सफेद प्लाजो पहन लिया और सरपर स्कार्फ बांध लिया, ब्राउन कलर के बड़े से ग्लासेस लगाकर शोल्डर बॅग उठाया जल्दी-जल्दी में मैंने घर छोड़ा और पार्किंग में पहुँची | कार स्टार्ट कर दी और बँक जाने से पहले सोनू को ऑल दी बेस्ट कहने 'आस्था घर' पहुँची | सोनू से मिली...वो बहोत खुश थी | मैंने उसे बस स्टॉप तक लिफ्ट दी | उसे बाय कहकर अपनी बँक की रूटीन जॉब करने निकल पड़ी | फिर रोज़ की तरह शाम को लौटते वक्त एन.जी.ओ. जाना | और फिर वहाँ के काम निपटाकर घर लौट आना | अच्छा-खासा बिजी रूटीन था | आज मम्मी-पापा से भी बात हुई भैया के शादी की बात चल रही थी | चलो इसी बहाने कुछ दिन मायके जाके रहने तो मिलेगा | और कुछ दिनों के लिए ही सही पलाश से छुटकारा भी मिलेगा |
              "हैलो..! निमा..! सोनू अभी तक घर नहीं लौटी.." - रीटा काफ़ी परेशान लग रहीं थी |
"पर रात के ग्यारह बज चुके हैं, रीटा.."- मैंने नींद से जागकर घड़ी की ओर देखा |
"वही तो निमा..! मुझे बड़ी चिंता हो रहीं हैं | कहाँ गई होगी ये लड़की..?"
"तुमने वहाँ पर कॉल कर के पूछा जहाँ वो आज इंटरव्यू देने गयी थी..?"
"हां..! यार पूछ लिया उन्होंने कहा सुबह इंटरव्यू के बाद सभी कैंडिडेट दोपहर तक निकल गये थे | उसके सभी दोस्तों से भी बात हुई..वो तो आज किसीसे मिली ही नहीं |"
"तू रुक मैं आती हूँ..."
"पर पलाश..?"
"वो अभी तक आये नहीं हैं |" - मैंने बात करते करते ही कार की ओर अपना रुख़ कर लिया था | रीटा और कुछ साथी दोस्त रास्ते में ही मिल गये | आख़िर पुलिस में जाकर शिकायत दर्ज कर दी | तभी बातों बातोंमें पता चला पलाश की कंपनी से ही सोनू को इंटरव्यू कॉल आया था | सोनू की कोई ख़बर नहीं थी | उसका मोबाईल भी ऑफ था | पुलिस ने उसका लास्ट लोकेशन इंटरव्यू से नजदीक बस स्टॉप बताया | पता नहीं उसके बाद वो अचानक कहाँ और कैसे गायब हो गई होगी..? मुझे घर वापस आते-आते रात के डेढ़ बज चुके थे | पता था अब घर जाते ही पलाश से झगड़ा होने वाला हैं | पर थैंक गॉड..! पलाश अभी तक घर नहीं लौटा था | सोचते-सोचते मेरी आँख लग गई | सुबह उठकर देखा तो पलाश कॉफी पी रहा था |
"आप कब आये..? कम से कम बता तो देते देर होनेवाली हैं.."
"हम्म..! अगली दफ़ा बता दूँगा.."
"थके हुए लग रहें हो..थोड़ा आराम कर लो.." - मन में तो नहीं था पर फिर भी मैं उसका मन रखने के लिये चिंता जता रहीं थी | ताकि हमारा रिश्ता थोडासा तो नॉर्मल लगे |
"नहीं..! ऑफ़िस जाना होगा.."
उसका मुड ठीक देखकर मैंने सोनू की बात छेड़ दी |
"कल आपके ऑफिस में सोनू नाम की लड़की का इंटरव्यू था | क्या आपने देखा था उसे..?"
"इंटरव्यू लेने के लिए अलग टीम होती हैं , निमा | इन सब छोटी छोटी बातों के लिए सी.ई.ओ.काम नहीं करता समझी तुम..?"- पलाश ने चिढ़कर जवाब दिया |
"जी..! पर वो लड़की.."- मैं आगे कुछ कह पाती तब तक पलाश का मोबाईल बज उठा..|
"हैल्लो..! हम्म..! बस निकल रहा हूँ..| हाँ-हाँ तो उनसे कहिये रुकने के लिए...मैं आदमी हूँ कोई मशीन नहीं | आ रहा हूँ |"- पलाश गुस्सेसे बात कर रहा था | इस वक्त चुप रहना ही बेहतर होगा |
"वो लड़की क्या नाम बताया तुमने उसका..?"
"सोनू..!"
"तुम्हारे एन.जी.ओ. से थी क्या..?"- पलाश ने चिढ़कर देखा |
"हाँ.. कहीं कुछ पता चला उसका..?"- मुझे लगा शायद उसीके मिलने की खबर आयी हो |
"नहीं...! पर लगता हैं अब मेरिट के साथ साथ कैंडिडेटस् के बॅकग्राउंड भी चेक करवाने होंगे और फिर इंटरव्यू कॉल इश्यू करवाना होगा...! वरना ये कीड़े की तरह रेंगने वाले लोग जीना मुश्किल कर देंगे हमारा |"
"किसका कॉल था..?"
"ऑफिस से..! पुलिस आयी हैं वहाँ | और ऊपरसे तुम्हारे एन.जी.ओ के लोग...ऐसे बात कर रहें हैं जैसे कि उस लड़की को हमने अग़वा किया हो |"- पलाश गुस्सेसे तैयार होकर ऑफ़िस के लिए निकल गया |
              शाम को चौंका देनेवाली ख़बर पुलिस की तरफ से आयी | सोनू मिल तो गयी थी, पर अधमरी हालत में...शहर के बाहर किसी बस्ती के कुड़ेदान में उसे निर्वस्त्र फेंक दिया गया था | वो अपनी आख़री साँसे गिन रहीं थी जब बस्तीवालोंने उसे देख पुलिस को ख़बर की | अस्पताल में उसके अभी कई ऑपरेशन्स होने बाकी थे | सीरियस कंडीशन में होने के बावजूद सोनू ने हार नहीं मानी थी | मौत के साथ उसकी जंग जारी थी | पुलिस अब हरक़त में आयी | वो पता लगाने की कोशिश कर रहें थे कि, आखिर इस सबके पिछे कौन हैं | किसने किया होगा सोनू पर ऐसे जंगली तरीके से हमला और बलात्कार..? मीडिया हमारे साथ थी | पुलिस पर दबाव बना हुआ था | देश के सारे युवक-युवतियां सोशल मीडिया से इस वाक़िये का विरोध दर्शा रहे थे | हम सब सोनू के लिये भगवान से प्रार्थना कर रहे थे |
             करीब दो महीने बाद सोनू को होश आया | पर उसका सर बार बार पटकने से जो अंदरूनी चोटें आई थी उस वजह से उसकी मेमरी पर बुरा असर पड़ा था | ब्रेन हैमरेज की वजह से उसे बार बार फिट्स आती रहती | शरीर के अंदर कई जगह इंटरनल ब्लीडिंग रोकने की डॉक्टरों ने कोशिशें की थी | मौत का खतरा अभी भी टला नहीं था | पर पुलिस को तो अपना काम करनाही था | वो और इंतजार नहीं करना चाहते थे | इंटरव्यू वाली बिल्डिंग में उस दिन सुबह से लेकर दोपहर तक कौन आया कौन गया सब सी.सी.टी. व्ही फुटेज सोनू को दिखाया जा रहा था | मैं और रीटा सोनू के साथ थे | वो कुछ बोल नहीं पा रहीं थी | कमीनों ने उसकी ज़ुबान और होंठ पर बुरी तरह घाव किये थे | अचानक एक कार को आते देख उसमें हलचल होने लगी | वी तिलमिला रहीं थी | बड़ी मुश्किल से अपना हाथ उठाकर सोनू ने उनपर उँगली उठायी | उसने अपने गुनहगारों को पहचान लिया था | पर वो सिर्फ तीन लोग थे और सोनू बार बार चार उँगलियाँ पटककर अपना गुस्सा जाहिर कर रहीं थी | हम समझ गए थे कोई चौथा आदमी भी इस दरिंदगी में शामिल रहा होगा |
           पुलिस की समस्या अब बढ़ने वाली थी | क्योंकि वो सभी  बड़े घर के लोग थे | कॉरपोरेटर का बेटा, शहर के मशहूर खन्ना बिल्डर का जमाई, और खुद पुलिस कमिशनर के साले साहब इसमें शामिल जो थे | अब हमें जिसका डर था वहीं होने लगा धीरे धीरे पुलिस की बेरुख़ी सामने आने लगी | मीडिया तो प्रेशर बढ़ा रहीं थी केस कोर्ट तक भी पहुँच गया पर सोनू की दिमाग़ी हालत पर कई सवाल खड़े हुए | और उसने जिन लोगोंकी तरफ ईशारा किया था शायद उन्हें पहचानने में गलती हुई हो कहीं सोनू ये कहना चाह रहीं हो कि इन्हीं लोगोंने उस दिन उसका इंटरव्यू लिया था न कि रेप किया था | अब ये कैसे समझे कि वो कहना क्या चाह रहीं हैं | और जो कहना चाह रहीं हैं वो सब सच भी या उसकी कल्पना | क्योंकि इंटरनल ब्लीडिंग और हादसे की वजह से उसे दिमाग़ी दौरे पड़ रहे थे | कोर्ट ने उन तीनों को बाईज्जत बरी कर दिया | सोनू की उंगलियाँ अब भी चार बता रहीं थी |
             सोनू की केस में और न तो उसकी सेहत में कोई सुधार नज़र आ रहा था | अब तो उसे व्हेन्टीलेटर पे रखा गया था | डॉक्टर का कहना था कि, उसके बचने की अब ज़ीरो परसेंट भी उम्मीद न थी | और एक दिन वहीं हुआ | सोनू को उस दर्दभरे लम्हों से मुक्ति मिल गयी | हम सब को छोड़कर वो हमेशा के लिए अलविदा कह गयी |
              सोनू के जाते ही ये मामला धीरे धीरे ठंडा होते गया | मैं भी अपने रूटीन पर आ गई | एन.जी.ओ का काम पटरी पर चलने लगा | एक दिन शाम को एन.जी.ओ से लौटते वक्त पलाश की गाड़ी गोल्डन लॉन होटल के बाहर पार्क देखी | थोड़ा अजीब लगा क्योंकि ये होटल खन्ना बिल्डर्स का था और पलाश की उनसे कोई जानपहचान नहीं थी ऐसा उसने कोर्ट में भी कहा था |  मेरे दिमाग़ में कई ख़याल आने लगे वहाँ जाने से मैं खुद को रोक न सकी | कार नज़दीकी गली में पार्क कर दी और स्कार्फ से चेहरा ढक दिया | होशियारी से होटल में दाखिल हुई तो देखा वहाँ पार्टी के मूड़ में सभी अपनी धुन में खोए थे | लाउड बज रहा म्यूजिक और डिम लाईट्स इसमें कोई किसीको क्या पहचानेगा भला..? मेरी आँखें तो बस पलाश को ढूंढ रहीं थी | आख़िर सीढ़ियों के नीचे एक कमरे में वेटर को जाते हुए देखा | सबकी नज़रों से छुपाकर रखा हुआ खास कमरा लग रहा था वो | मैं चुपचाप अंदर की ओर बढ़ने लगी | वहाँ कोई सी.सी.टी.व्ही. कॅमेरा नहीं थे | छोटासा कॉरिडोर था | तीन से चार कमरे थे | और ऊपर की ओर जाती सीढ़ियाँ थी | जैसे-जैसे मैं ऊपर चढ़ती गयी वैसे वैसे खुसर फुसर की आवाज़ें सुनाई देने लगी | धीरे धीरे आवाजें साफ़ सुनाई दे रहीं थी | मैं वहीं एक पर्दे के पिछे छुप गई | सोनू के रेप से जुड़े उन लोगोंसे पलाश कुछ डील की बातें कर रहा था | मैंने सावधानीसे अपना मोबाईल निकालकर उसे सायलेंट मोड पर डाल दिया और फिर व्हिडिओ शूट करने लगी |
"खन्ना साहब सोच लो अगर ये व्हिडिओ मीडिया के हाथ लग गया तो क्या हो सकता हैं आप सबका..?"- पलाश उन्हें धमकियां दी रहा था | कैसा व्हिडिओ..? ये चल क्या रहा हैं..?
"पलाश तुम अपनी हद में रहकर बात करो यहीं तुम्हारे लिए अच्छा होगा...कहीं ऐसा ना हो के कल को तुम्हारी बीवी तुम्हें ढूँढ़ती फिरे और तुम इस धरती से ही गायब हो जाओ.."- पुलिस कमिशनर का साला गुस्सेसे आँख बबुला हो रहा था |
"गलती तो हमारी ही थी जो ईसे हमारे साथ लिया | आख़िर औक़ात दिखाही दी ना इसने.."
"अब औक़ात कहो या लालच मुझे मेरे तीस करोड़ दे दो और ये व्हिडिओ हमेशा के लिए डिलीट हो जाएगा |"- पलाश के चेहरे पर कमीनी मुस्कान थी और आँखों में चमक |
"तुम हमें ब्लैकमेल करके ऐसे आसानी से नहीं छूट सकते पलाश..!!!"- कॉरपोरेट के बेटे ने पलाश की कॉलर पकड़ी और उसके हाथ से मोबाईल छीनकर वो व्हिडिओ डिलीट कर दिया | "लो और करो ब्लैकमेल... पलाश अब क्या करोगे..?"
"तुम्हें क्या मैं पागल लगता हूँ ..? ऐसी सौ कॉपीज बनाकर रखी हैं मैंने कल को मुझे कहीं कुछ हो गया तो पूरे सोशल मीडिया पर छा जाएगी तुम्हारी करतूतें | समझे कुछ..? नाउ इट्स अप टू यू गाइज..! पैसा या ईज्जत..?"
"पैसे तुम्हें कल पहुँच जाएंगे.."
"नो..!! खन्नाजी..!! आज..अभी..मेरे ईस अकाउंट नंबर पर.." - पलाश के चेहरे पर जीत की खुशी झलक रहीं थी | सबने अपने अपने बँक कॉल लगाये और कुछ ही मिनटों में पैसे पलाश के अकाउंट में आ गए |
"फाइन..! अब तो खुश हो..व्हिडिओ डिलीट कर दो.."
"अरे..! आप टेंशन मत लिजिये भरोसा रखिये अब ईतना भी कमीना नहीं हूँ मैं...! बस..! आपलोग बेफिक्री से सो जाईये | ये बला तो टल गई समझो..!" - पलाश हँसते हँसते वहाँ से निकल गया | उसके जाने के बाद बड़ी देर तक वो तीनों बातें करते वहीं बैठें रहे | उनके जाने तक मैं वहीं सब सुन रहीं थी | सोनू के रेप का व्हिडिओ बनाया था पलाश ने...कितना गया-गुजरा इंसान मेरा पति था | सोच कर भी घिन आ रहीं थी मुझे |
            मैं घर पहुँची तो पलाश पी रहा था | मुझसे थोड़ी बहोत बहस करने के बाद वो मेरे करीब आया पर पूरी ताक़द लगाकर मैंने उसे अपनेसे दूर कर दिया | वो सोफे पे जा गिरा | और फिरसे उठने की कोशिश करते करते फिर गिर गया | मैं फ्रेश होने अंदर चली गयी | जब बाहर आई तो देखा पलाश नशे में धुत्त वहीं सोफे पे सो गया था | मैंने मौका देखा और पलाश का मोबाईल उसीके फिंगर सेंसर से ओपन किया | उसमें कुछ नहीं था | फिर जल्दी जल्दी में उसका लॅपटॉप निकाला पासवर्ड मुझे पता था इसलिए एकेककर फाइलें चेक की | आख़िर वो व्हिडिओ मिल ही गया | कितनी घिनौनी हरकतें की थी उन तीनों ने...! सोनू दर्द से तड़प रहीं थी | पलाश को व्हिडिओ शूट करते वक्त उसकी थोड़ी भी दया नहीं आयी..? कैसे लोग हैं..? ग़ुस्सेमे आकर मैंने दोनों व्हिडिओ सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिये | जो मैंने फिल्माया था पलाश कैसे सबको ब्लैकमेल कर रहा था वो और जो सोनू का रेप होते हुए फिल्माया गया था | जल्द ही ये बात आग की तरह फ़ैल गयी..|
            दो दिन बाद पुलिस से छुपते फिर रहें कमिशनर के साले ने बदनामी से बचने के लिए आत्महत्या कर ली | और उसके दुसरेही दिन बचे हुए दोनों को भी हिरासत में ले लिया गया | उन्हें आख़िर मौत की सजा मिली और पुलिस को सच न बताकर व्हिडिओ छुपाकर पलाश ने जो ग़ुनाह किया उसके लिए उसे भी सोनू के रेप केस में उतनाही दोषी क़रार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई गई |
"सुनो..! निमा तुम तो मुझपर विश्वास करो...ये व्हिडिओ मैंने नहीं बनाया हैं... उसी दिन इंटरव्यू पे आये एक कैंडिडेट से मुझे ये व्हिडिओ मिला था | उसने अच्छी खासी रकम लेकर मुझे ये व्हिडिओ बेचा था | यक़ीन करो मेरा..मैंने सोनू के साथ कोई गलत काम नहीं किया हैं | मेरे लिए वकील ढूंढो निमा..! मैंने कुछ नहीं किया.." - पलाश चिल्ला चिल्लाकर बोल रहा था | उसकी इन बातोंको कोर्ट ने भी अनसुना कर दिया था | लेकिन क्या वो सच कह रहा था | तो फिर वो व्हिडिओ शूट करने वाला कौन था..? उसका तो नाम भी पलाश को पता नहीं था | फिर सोनू बार बार चार उँगलियाँ क्यू दिखा रहीं थी..? क्या कहना चाहती थी वो..? क्या वो चार लोग नहीं थे..? पापा ने कंधेपर हाथ रखकर मुझसे चलने को कहा तब जाकर मेरा विचारचक्र टूटा |
"पलाश को छुड़ाने के लिये हम पूरी कोशिश करेंगे | तुम अपने आप को संभालो बेटा..!"- पापा चिंता से बेहाल हुए जा रहें थे | लेकिन मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ रहा था | पलाश सोनू का नहीं तो मेरा गुनहगार तो था न..? उसे सज़ा मिलनी ही थी..! बल्कि मौत मिलनी चाहिए...!
"अगर पलाश निर्दोष हैं तो उसके लिए तुम्हें लड़ना होगा, निमा..!"- रीटा मुझे हौसला दे रहीं थी |
"अगर उसकी बातोंमें सच्चाई है, रीटा..! तो कहाँ हैं वो आदमी जिसने ये व्हिडिओ रेकॉर्ड किया..?"
"पता नहीं..! निमा !...बट डोंट वरी..! हम उसे ढूंढ निकालेंगे.." - रिटा की बातोंसे ये राज़ और भी दिमाग़ में तूफ़ान मचा रहा था |
रीटा के साथ मैं घर लौट आयी | आते ही देखा तो दरवाजे पर एक पार्सल पड़ा था | रिटा ने पार्सल उठाया और हम दोनों अंदर आ गयी | जैसेही पार्सल खोला अंदर एक चिठ्ठी और पेन ड्राइव था | पहले तो मैंने चिठ्ठी खोली...-
"नमस्ते,
         मेरा नाम जानकर अब वैसे भी किसीको कोई फ़र्क नही पड़नेवाला..सोनू और मैं एकदूसरे से बहोत प्यार करते थे | ख़ैर..! अब इस बात से भी किसीको क्या फ़र्क पड़नेवाला हैं...? मुद्दे की बात तो यह हैं कि साथ में रखे पेन ड्राइव्ह में पूरा व्हिडिओ हैं | जो मैंनेही निकाला था | सोनू को उन लोगों ने जिस क़दर मार डाला वो देख मैं डर गया था | ये लोग मुझे कभीभी मार सकते हैं ये सोच सोचकर नींद उड़ गई थी मेरी | गाँव में बूढ़े माँ-बाप का मैं अकेला सहारा हूँ | सोनू तो अब इस दुनिया में नहीं रहीं तो व्हिडिओ की बदौलत क्यूँ ना थोड़े पैसे कमा लिये जाय यहीं सोचकर | व्हिडिओ का थोड़ा हिस्सा पलाश सर को भेज दिया और बदले में वो मोटी रक़म देने को भी रेडी हो गए | मैं कभी ईस लेन देन के लिए उनसे मिला नहीं जान का डर जो था | जहाँ कहा उन्होंने पैसे रख दिये और मैंने कुरियर से उन्हें पूरा व्हिडिओ भेज दिया जैसे अभी आप को भेजा | और मैं गाँव हमेशा के लिए लौट गया | पर अब असली क़ातिल को बुरे से बुरी सज़ा मिले यहीं सोचकर ये व्हिडिओ आपको भेज रहा हूँ | आपने जो देखा वो आधा अधूरा था | आशा करता हूँ सोनू को न्याय जरूर मिलेगा |"
        हमने पेन ड्राइव्ह चलाया और जो सामने आया उसे देख मेरे रौंगटे खड़े हो गए...! मतलब मेरा अनुमान ठीक था चौथा आदमी भी था और वो दूसरा-तीसरा कोई नहीं खुद पलाश ही था | उसी ने सोनू को लिफ्ट दी | ये लड़का शायद बाईक से उनका पीछा कर रहा था | ये तो पलाश के ऑफिस की बिल्डिंग का बेसमेंट हैं | उस लड़के ने बाईक दूर छोड़ दी और बेसमेंट के पिछे की तरफ़ से अंदर झांक कर देखा | सोनू चिल्ला रही थी वो लड़का उसी तरफ़ भागा | वो एक कार के पिछे छुप गया | पलाश ने सोनू को ज़मीन पर पटक पटक कर, कभी उसके होंठ तो कभी उसके कानों को दांतो से कांटकर लहूलुहान कर दिया, लात घुसे से मारकर, बाकी के तीनों ने जलती सिगरेट के दाग देकर उसके कपड़े उतारे | अब सोनू ने चिल्लाना बंद कर दिया शायद वो बेहोश हो गई थी | उसका रेप सबसे पहले पलाश ने किया था | बाद में वो तीनों गिद्ध की तरह उसपर टूट पड़े शायद तब तक वो मर चुकी थी | फिर उसकी लाश को गाड़ी की डिक्की में डालकर वो लोग कहीं ले गये | पलाश ने ये व्हिडिओ एडिट कर के खुदका पोर्शन हटाकर सिर्फ़ उन तीनों का फुटेज रखा और अपने दोस्तों को ब्लैकमेल कर पैसे ऐंठे थे |
            मैं अब चुप बैठनेवाली कहाँ थी..? रिटा ने तो प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर उस चिठ्ठी और पेन ड्राइव्ह का खुलासा कर दिया | लोगों में ग़ुस्सेकि लहर दौड़ रहीं थी | सब क़ानून अपने हाथ में लेना चाहते थे | जेल में भी अब वो लोग सुरक्षित नहीं थे | सुना है साथी क़ैदियों ने उन की जमकर पिटाई की थी | उनमें से एक तो सदमें से चल बसा |
         तीन महीने बाद कोर्ट में पलाश की केस रीओपन हुई और अब की बार उसे मौत की सज़ा सुनाई गई |
         
            
         
         
        

आप प्रकाशित भागों के अंत तक पहुँच चुके हैं।

⏰ पिछला अद्यतन: Aug 03, 2021 ⏰

नए भागों की सूचना पाने के लिए इस कहानी को अपनी लाइब्रेरी में जोड़ें!

ओ वुमनियाजहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें