पश्चिम बंगाल के बेगुनकोडोर के गांव में एक बच्चे की किलकरियो से गांव खुशी से झूम उठता है।बच्चे के माता पिता की ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था , पर वहाँ के पुरोहित के दिल में कुछ आशंकाए उठ रही थी , उन्हें उस बच्ची को देख के अजीब सी बेचैनी हो रही थी। तभी उन्हें उनके एक चेले से संदेशा मिलता है , उस पत्र को पढ़कर वह फ़ौरन वहां से मुरशीदाबाद के लिए निकल पड़ते हैं। बच्ची के माता - पिता धूम धाम से बच्ची के नामकरण की तैयारी में जुट जाते हैं। शाम के समय पुरोहित जी मुर्शिदाबाद की यात्रा से लौट आते हैं और नामकरण को विधिपूर्ण सम्पन्न करने के लिए वहाँ पहुंच जाते है। पुरोहित जी उस बच्ची में कुछ अजीब से व्यव्हार और उसकी सुंदरता को देखकर उसकी राशि अक्षर के मुताबिक उसका नाम वामी रख देते हैं।
वामी के पिता ख़ुशी से झूम उठते हैं और वह पुरोहित जी को धन्यवाद करने जैसे ही जाते हैं पुरोहित जी उन्हें पैर छूने से मन कर देते हैंऔर वहाँ से चले जाते है। पुरोहित जी के इस व्यवहार को दवखकर वामी की माँ को बिलकुल ठीक नहीं लगता वह वामी के पिता सुदख्षो को फ़ौरन पुरोहित जी से मिलने और उनके इस अजीब से व्यवहार का कारण पूछने के लिए सुमेधु की छोटी पे स्थित काली मंदिर पर जाने के लिए बोलती है।
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दास्तान इश्क की..
Romanceदूर विरान ज़मीन पर शुरू होती है एक प्यार की कहानी ऐसा प्यार जो कहानीयो या किस्सो में अमर था पर आज वह इक्कीसवी सदी की सच्चाई बंगया है। क्या ये प्यार फिर से अमर होगा या फिर फिर से इसे तड़प कर अपना दहन करना होगा .....