Gopi Geet – गोपीगीत
भगवान कृष्ण ने अधिष्ठात्री देवी श्री राधा रानी और वृन्दावन की गोपियों के साथ रास रचाया, भगवान् ने रास में जितनी गोपियां थी उतनी ही संख्या में अपने प्रति रूप प्रकट किये। रास में सभी गोपियों को ये अनुभव हो रहा था की भगवान सिर्फ मेरे साथ है। गोपियों को ये अनुभव उनके अभिमान में परिवर्तित हो गया। गोपियों के ये लगने लगा कि भगवान् कृष्ण मात्र हम से प्रेम करते है।
भगवान् कृष्ण गोपियों के अभिमान को देख कर स्वयं को गोपियों के मध्य से अन्तर्ध्यान कर लेते है , और किशोरी जी के साथ रास-स्थल से आगे चले जाते है, कुछ समय पश्चात् किशोरी जू को भी अभिमान हो जाता है , तब ठाकुर जी राधा रानी को छोड़ कर लुप्त हो जाते है।गोपियां और किशोरी जी भगवान के विरह में व्याकुल हो तड़पने लगती है।
हम लोग भौतिक जगत की वस्तु के लिए तड़पने लगते है कहीं हमारी कोई प्रिय वस्तु खो जाए तो घण्टो तक तडपते है लेकिन यहां तो जीव और शिव अर्थात भगत और भगवान् का मिलन और विरह हो रहा है, जिसने जन्मो जन्मो तक केवल गोबिंद मिलन की आस में ही जीवन बिताये हो उसे किसी और भौतिक वस्तु की चाह नही होती और गोपिया तो स्वयं गोबिंद मिलन की प्यास में गोपी रूप में प्रगट भई है फिर उनके विरह का क्या वर्णन हो सकता है? जब कृष्ण विरह की वेदना अनंतगुना हृदय में लावा की नाइ (भांति)प्रचंड वेग से प्रवाहित होने लगे और ज्वारभाटा के रूप में प्रस्फुरित होकर एक विस्फोट के रूप में बहने लगे तो वह भाव गोपीगीत बन जाता है.. इसीलिए स्वयं गोपियन ने इस गोपीगीत को गाया है है और अपनी वेदना का अविरल प्रवाह किया है,गोपिया कहती है,
श्लोक – 1
Shlok – 1जयति तेsधिकं जन्मना ब्रज:
श्रयत इन्द्रिरा शश्व दत्र हि!
द्यति द्दश्यतां दिक्षु तावका
स्त्वयि धृतासवस्त्वां विचिन्वते!!
jayati te ‘dhikaṁ janmanā vrajaḥ
śrayata indirā śaśvad atra hi
dayita dṛśyatāṁ dikṣu tāvakās
tvayi dhṛtāsavas tvāṁ vicinvateO beloved, Your birth in the land of Vraja has made it exceedingly glorious, and thus Indirā, the goddess of fortune, always resides here. It is only for Your sake that we, Your devoted servants, maintain our lives. We have been searching everywhere for You, so please show Yourself to us.
YOU ARE READING
Gopi Geet
SpiritualThe Gopi Geet was sung by Gopis of Shridham Vrindavana when Krishna left them during Rasa. They were looking for Krishna everywhere and in everything they were crazily in love with Krishna and as it is said by Acharayas that no one can love Krishna...