❣️क्या कुछ कहे पाओगे ❣️

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रिश्ता है क्या हमारा क्या कभी आप ये केह पाओगे।

सेहमासा है दरमिया जो बीच हमारे ,
कोई नाम इसे दे पाओगे।

वजूद कुछ मीट सा गया है हमारा,
पर क्या हमे ठुकरा पाओगे ।

सिर्फ दर्द सा बचा है मेरे जहन में,
सुकून का वो आखरी पना भी कही बिछड़ सा गया है ,
पर क्या  अपनी यादों से हमे हटा पाओगे ।

गुजरे लम्हों की वो बारिशे ,
बाड बन के आ जाति है इन नम आंखों में ,
क्या इन आंखों को आप कभी भुला पाओगे ।

सब कुछ तो नहीं था मेरे पास
लेकीन जो था ,
उसे छोड़ के सुकून से जी पाओगे।

चलो  कुछ और तो ना सही पर
में कोन था तुम्हारे लिए
क्या तुम कभी ये कहे पाओगे ।

Thank you 💝

just shayri Where stories live. Discover now