पहुच

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आज तारीख है 24 अगस्त सुबह के 6 बज रहे है मै समुंदर की लहरों की आवाज और चल रही ठंडी हवाओ को महसूस कर रहा हूँ क्युकी मै अभी हूँ वरकाला बीच पर केरल ,यानी घर से 3000 किलोमीटर दूर हूँ

 मेरे फोन पे राधिका का कॉल आता है वो पूछती है

 कहाँ हो इतनी सुबह-सुबह कहाँ हो > मै समुंदर के किनारे आया था टहलने के लिए,कहो कूछ काम है क्या .?

 हाँ, पापा बुला रहे है , तुम सुबह कमरे मे नहीं दिखे 

> मै करीब 30 मिनट मे आ जाऊँगा

 तो आप सब सोच रहे है की मै यहाँ क्या कर रहा हूँ घर से दूर इतनी सुबह ,और ये राधिका कौन है जो इतनी प्यार से बात कर रही है 

(हाँ पता है वैसे लड़किया मुझे भाव नहीं देती )

मै एक 21 साल का सीधा-साधा लड़का जो बहुत नरमी से बात करता हूँ और दिल्ली की एक आर्ट गैलेरी मे अकाउंट मैनेजर हूँ और अपनी जीजा जी के एक खाली पड़े घर मे रहता हूँ

तो मै यहाँ कैसे पहूँचा ये बताता हूँ

 ये बात है 15 अगस्त की मै लाल किला पे हुई परेड देख कर आ रहा था

 शाम को घर जा रहा होता हूँ तो मम्मी का कॉल आता है मै कॉल उठा कर > राधे-राधे मम्मी कहती है आज बहुत भीड़ थी टीवी मे देखा था तू घर पहुच गया ?

 अभी नहीं , जा रहा हूँ मेट्रो मे हूँ अभी तेरी रेखा मौसी की ननद है तेरी शीतल बुआ जिनके घर गर्मियों की छुट्टीयों मे जाता था |

 हाँ मुझे याद है |

 उनकी बड़ी लड़की की शादी है केरल मे और तू बहुत दिन से कहीं बाहर घूमने जाने की कह रहा था तो केरल ही चला जा शादी के बाद घूम के आ जाना शादी मे चार दिन पहले जाना है एक सराय मे शादी की सारे रस्म होंगी 

मै खुश होकर कहता हूँ मम्मी ये ठीक रहेगा मे शादी के बाद वहा घूम लूँगा |

मम्मी मै घर जाकर रात मे बात करता हूँ शादी का कार्ड का फोटो मेरे पास आ चुका था ,मै कार्ड के फोटो को देखकर सोचता हूँ की वहाँ मै केवल कूछ लोगों को ही जानता हूँ तो मुझे ज्यादा अच्छा नहीं लगेगा |

वरकालाWhere stories live. Discover now