मैं वो नही हूं,
पर मैं उसके जैसी हूं,
हाँ, मैं भी एक लड़की हूं।
उस खूबसूरत जिंदगी की मौत हो चुकी है,
मैं ऱोज उस मौत से बचती हूं।
वो रोशनी खो गयी है अँधेरो के जहाँ मे,
एक दिन उस जहाँ में मैं भी शामिल हूं।
मुझे अक्ष नज़र आता है उसमें मेरा,
जैसे कि वो मैं ही हूं।
उसकी किस्मत ने उसे तबाही के मंज़र तक पंहुचा दिया है,
और मैं ऱोज अपनी किस्मत से लड़ती हूं।
पापा की वो लाड़ली,
माँ की वो परी,
लोगो के लिए बेचारी हो गयी।
वो एक जिंदगी मेरे जैसी,
मौत में तब्दील हो गयी।
वो एक रंगीन जिंदगी,
बेरंग हो गयी।
भाई की वो बोलती गुड़िया,
खामोश हो गयी।
खुशिया उसकी लेती है सिसकिया,
वो हर पल टूट कर,
बिखरने को मजबूर हो गयी।
दीवारो से टकराती उसकी चीखे,
साँसे उसकी बंद कमरे में कैद हो गयी।
जिन्दा लाश बना कर छोड़ दिया उसे,
कि हर लम्हा मर कर जीने को,
वो मजबूर हो गयी।
वो हँसती मुस्कुराती लड़की,
दोस्तों की शरारती दोस्त,
वो हसीन जिंदगी मेरे जैसी,
मौत में तब्दील हो गयी।Translation in English
I am not her,
But I resemble her.
Yes, I am a girl.
That beautiful life of mine,
died somewhere on the walk of life.
I try to save myself every day from that death,
That light has lost somewhere in the darkness.
Now in that darkness, I too stay.
I can see my reflection in her.
As if she is just me.
Her luck dragged her till the door of destruction.
I fight to that luck everyday.
That father’s daughter,
Mother’s angel,
Has turned helpless for people.
That life of mine got converted into death.
That colorful life of mine lost the essence of it.
Brother’s chattering doll fell silent forever.
Her happiness sobs.
She is forced to shatter every moment.
Her shouts get echoed within the walls.
Her breath is caged in a room.
Every moment she is forced to die to live.
That cheerful girl,
Life of happening gangs of friends,
That life of mine got converted into death.
YOU ARE READING
दामिनी
PoetryThis poem is dedicated to Nirbhaya (Delhi Rape Case 16 December, 2012). Do read and comment.