चाचा को पता चल गया कि मैं स्तनपान करता हूँ पर उसे इसमें कोई परेशानी नही थी। सुबह चाचा काम पर चला गया । उसने सुबह जल्दी ही नाश्ता कर लिया था। फिर मैं सीमा चाची के साथ रसोईघर मैं चाय नाश्ता करने लगा। हम जमीन पर बैठे हुए थे। चाची ने आज ब्लैक साड़ी और ब्लाऊज पहना था। साइड से देखने पर उसका एक भरा हुआ मुम्मा बड़ी आसानी से दिखाई पड़ रहा था। मैं बेशर्मी से उसे देख भी रहा था। चाची को मेरे घूरने की अब आदत पड़ गयी थी। उल्टा मेरी ये हरकत देखकर वो हँस भी रही थी। मैंने सीमा चाची को ऐसे ही ताना मारा,
"क्या चाची, कल चाचा ने दूध पिया या नही?"
उसने मुस्कुराते हुए जवाब दे दिया,
"हा तो। दूध पीना थोड़ी छोड़ने वाले है वो अब? तेरे जैसे ही है वो।"
"अगर नही पीते हो तो मुझे रात में पिलादो । ठीक है चाची?"
"ये भी कोई पूछने की बात है राजू?"
मैं मन मे बहुत खुश हो गया। उसके मुम्मे को देखकर मेरे मुह में पानी आ रहा था। चाची ने हँसते हुए पूछा,
"तो क्या अभी तुझे दूदू नही चाहिए?"
मैं तुरंत बोल गया,
"हा तो ।"
उसने प्लेट बाजू में रख दी और मुझे आपने पास बुलाया। मैं उसके पास गया और बोला,
"पर चाची , पीछे का दरवाजा तो खुला है। कोई आ गया तो क्या कहेगा?"
चाची ने मुझे एक हाथ से अपनी गोद मे सुला दिया और बोली,
"क्या फरक पड़ेगा किसी ने देख लिया तो।"