करमपुरा मेरा जन्मस्थान
करमपुरा के एक मकान में 13 अप्रैल 1962 के प्रातः काल में मेरा जन्म घर में ही एक दाई द्वारा कराया गया था ऐसा मेरी मां ने मुझे बताया था। वो राम नवमी का दिन था और मेरी मां का वर्त था। साथ ही साथ बैसाखी का पर्व भी था। करमपुरा यानी कर्मचारियों के लिए बनाई गई कॉलोनी। वास्तव में करमपुरा को भारत मिल और आस पास के कारखानों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिया बनाया गया था। करीब 2000 घरों की ये पूरी दो मंजिला बस्ती थी जिसमे हर ब्लॉक में 12 मकान थे। 6 मकान नीचे और 6 मकान ऊपर। हर मकान में दो कमरे होते थे और एक स्नानघर और एक शौचालय। आगे वाला कमरा बेडरूम, ड्रॉइंगरूम, गेस्टरूम इत्यादि सब के लिए इस्तेमाल होता था और पीछे वाला कमरा रसोईघर, स्टोररूम इत्यादि के लिए इस्तेमाल होता था। सारा परिवार, रिश्तेदार, मेहमान उस दो कमरे के मकान में आसानी से खुशी खुशी समा जाते थे। कोई शिकायत नहीं और न ही कोई गिलवा।करमपुरा एक तरफ़ से भारत मिल और उसकी कॉलोनी से घिरा था तो उसकी दूसरी तरफ़ नजफ़गढ़ नाला था जिसके परली साइड पंजाबी बाग नामक एक पॉश कॉलोनी थी। तीसरी तरफ़ न्यु मोती नगर का एरिया था तो चौथी तरफ़ इंडस्ट्रियल एरिया जिसमे गोदरेज, लक्ष्मण एंड सिलवानिया, लार्सेन एंड टुर्बो जैसे बड़े बड़े कारख़ाने थे। अधिकतर भारत मिल और इस इंडस्ट्रियल एरिया में काम करनेवाले कर्मचारी करमपुरा में रहते थे। साथ में ही एक झुग्गी बस्ती थी जिसमे एक तालाब होता था और राम स्वरूप की दुध की डेरी। इसके अलावा बहुत सारी दुकाने जिसमें किशन हलवाई की दुकान, राशन की दुकान, नाईं की दुकान इत्यादि थी जहां से करमपुरा के निवासियों की जरूरत का सब सामान मिल जाता था। आस पास भारत मिल गेट का मंदिर, ई ब्लॉक स्कूल का मंदिर, जैन मंदिर और एक गुरुद्वारा भी था। कहने को करमपुरा अपने आप में एक सब सुविधाओ से पूर्ण कॉलोनी थी। भारत मिल की ख़ुद की रेसीडेंशियल कॉलोनी ज़्यादा सुविधा संपन्न थी क्योंकि वहां अलग से खेल का मैदान था जहां पर समय समय पर विभिन्न मेले भी आयोजित होते रहते थे। लाइब्रेरी थी, स्कूल था, अखाड़ा था और था जन्माष्टमी मैदान जो अपनी जन्माष्टमी आयोजन के लिए पूरी दिल्ली में मशहूर था। 1975 में देश में इमरजेंसी लग गई और झुग्गी झोपड़ी बस्तियों को तोड़ कर नई जगह बसाने लगे तो करमपुरा की झुग्गी बस्ती को मंगोलपुरी शिफ्ट कर दिया गया। आज इस स्थान पर आलीशान करमपुरा कमर्शियल काम्प्लेक्स खड़ा है। राम स्वरूप की डेयरी को नांगल राइ में शिफ्ट कर दिया गया। वो समय बड़ा उथल पुथल का था।