दिल की एक अनकही चाहत

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बस एक बार,
वक़्त मे पीछे जाकर,
मैं सब कुछ ठीक करना चाहती हुँ
मोतियों की तरह बिखरे उन कुछ रिश्तों को,
फ़िर से एक धागे में पिरोना चाहती हुँ

उनकी हालत अब कांच के
टुकड़ों सी हो गयी है
फ़िर भी उन टुकड़ों को समेट कर
एक नया रूप देना चाहती हुँ
सुना है , टूटी हुई चीजें,
दोबारा जोड़ी नही जा सकती
इन अफवाहों को गलत साबित करना चाहती हुँ
बस एक बार, वक़्त में पीछे जकर मैं सब कुछ ठीक करना चाहती हूँ

इन बीते कल को सोचकर
दिल अब नये रिश्ते बनाने से डरता है
कुछ इस तरह विश्वाश टूटा है की
अगली दफा विश्वाश करने से डरता है
जो लकीर अपने इर्द-गिर्द खींच रखी है मैने,
एक बार, उस लकीर को लांघना चाहती हुँ
बस एक बार, वक़्त में पीछे जाकर मैं सब चीज ठीक करना चाहती हुँ ।



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Shayarana Khayal ✨🥀Where stories live. Discover now