शाम ढल गयी थी। धीरे-धीरे अँधेरा और भी घाना हो रहा था।
अजीबाजिब सी शांति थी माहोल में।
खिड़की के बहार हाईवे पर सनसनाती जाती गडडीओ को बेनेजा सोफे पर बैठे निहाड़ रही थी।
हाथ में व्विस्की का ग्लास लिए इक सिप पिया फिर तब्बल पर गिलास रख दिया।
फिर से मुह खिदपि पे लगाया। तभी मोबाइल पर रिंग बजी। ट्रीन ट्रीन
बेनेजा ने कॉल उठाया। सामने से आवाज आई :मेडम कल इक मीटिंग ४ बजे है। उसके अजेंडा आपको पोस्ट कर दिए है। उसको नोट कर लीजियेगा।
थैंक यू मैडम।
बेनेजा :सुनो !
मोबाईल :जी मैडम
बेनेजा :में कल ऑफिस जल्दी आउगी तुम भी आ जाना।
मोबाइल : ठीक है मेडम
मोबाइल टेबल पर रख दिया। अब अँधेरा और भी बढ़ गया था हाईवे पर नज़र की तो चमचमाती रौशनी थी
बेनेजा वह से उठी और। किचन में गयी , कुछ बर्तन देखा फिर अछा न लगा तो तुरंत ही बहार आ गयी। और तभी याद आया आज डिनर पर जाना है उसे.
तभी मोबाइल पर कॉल आई
बेनेजा बोली "हाँ आ रही हूँ। "
वो अपनी कार लेकर मुंबई की मशहूर होटल में गयी। वह पर ऑलरेडी शालिनी इंतज़ार कर रही थी।
आओ बेनु
बेनेज़ा : हम्म
दोनों ने नॉर्मली बाटे की बेनेज़ा का मूड़ कुछ ठीक नै था।
सैनी : क्या बात है ,आज तेरा बर्थडे है और आज तेरा मुह लटका हुआ है। आज तो चील करले !
बेनेज़ा : क्या यार तू भी ना
ज़रा सा मुस्कुराई और अपना मूड बदल ने की कोशिश की
तक़रीबन सादे नौ बजे थे अब आई घर जाने की बारी।
शालिनी : चल आब में जाऊ
बेनेज़ा : रुक न यार थोड़ी देर। घर जाने ka मन नहीं कर रहा।
शालिनी :और बता क्या प्लान्स है तेरा इस गर्मियों की छूटी में ?
बेनेज़ा :सोचा नहीं यार मेने कुछ
शालिनी: मेरा भी कुछ ऐसा ही है। मेरी बेटी की एक्साम्स खत्म होते ही बहार जाने की ज़िद करेगी।
बेनेज़ा : हम्म यह लो। बेग में से कुछ चॉकलेट्स निकल कर शालिनी कीbeti के लिए दिए।
शालिनी की बेटी थी जो छे साल की थी। और शालिनी उसकी खास फ्रेंड थी।
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end of the imagination ( hindi story )
Randomइक बार फिर दोस्तों में आपके लिए स्टोरी ले कर आ रही हूँ . जिंदगी हर मोड़ पर नया रुख लेती है. . कभी बेबस कर देती तो कभी निखार देती है जिंदगी को . कभी बीते हुए कल के पन्नो को मिटा देती है तो कभी कभी बिता हुआ कल सामने लती है जिंदगी का हर पल ज...