बहोत बार शालिनी से बाटे होती रहती थी। और वो घर पर आया जाया करती थी।
सुबह होते ही बेनेज़ा ऑफिस के लिए निकल गयी। जाते ही उसका असिस्टेंट ने कहा "गुड मॉर्निंग मेम"
बेनेज़ा : गुड मॉर्निंग
बेग मेसे इले निकली और काम सुरु किया
इक कॉफ़ी लीऔर काम करने लगी
उसका असिस्टेंट आया : मेम मुझे कल छूटी चाहिए।
बेनेज़ा : क्या छुट्टी ? क्यों चाहिए ? (उसके सामने देखा कर पूछा )
सुमित : मेम कल मेरा आखि पेपर है।
बेनेज़ा : ओके अब क्या कहु। ठीक है।
सुमित उसका असिस्टेंट है। कॉलेज अभी अभी ख़त्म हुयी। एंट्रेंस एक्साम्स देरहा है , बाईस साल का लड़का है।
रही बार बेनेज़ा की तो वो काफी बड़ी है वो तिस साल की है। मल्टी नेशनल कंपनी में अछि पोस्ट पर काम करती है। अपना ओवन हाउस है कार है।
वो अपने असिस्टेंट को छूटी नहीं देना चाहती थी
दरहसल उसको अकेला रहना पसंद नहीं था। सुमित कुल्ले मिजाज का लड़का था। तो काम करने में टाइम कहा निकल जाता था कुछ पता ही न लगता।
ऐसे ही बज गयर चार। मीटिंग थी आज कंपनी के सीईओ के साथ। नया बजट नए टास्क मिलने वाले थे। जाते जाते उसकी नज़र कलंदर पर गयी। और ऊ कल तो बर्थडे था . उसे सबसे ज्यादा अकेलापन उसके बर्थडे पर लगता था। कंपनी में इक रूल था की बर्थडे के दिन छूटी मिलती थी।
और बेनेज़ा की लाइफ में कोय भी ऐसा नहीं था जो दिल से कहे "हैप्पी बर्थडे बेनेज़ा "
.पूरा दिन अकेले बेथ कर अपनी विस्की का सहारा लिए दिन बिता दिया
आज और इक नया साल। और जिंदगी की वाही भागदौड़ सुरु .
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end of the imagination ( hindi story )
De Todoइक बार फिर दोस्तों में आपके लिए स्टोरी ले कर आ रही हूँ . जिंदगी हर मोड़ पर नया रुख लेती है. . कभी बेबस कर देती तो कभी निखार देती है जिंदगी को . कभी बीते हुए कल के पन्नो को मिटा देती है तो कभी कभी बिता हुआ कल सामने लती है जिंदगी का हर पल ज...