मेरी शायरी

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हारा हुआ था में जब तुम छोड के गयी थी
मारा हुआ था में जब तुम मुझसे मुह मोड़ के गयी थी
पर अफ़सोस
आज में बहुत खुश हु तेरी वजह से
दुखी था पहले जब तुम मुझे छोड़ के गयी थी

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दुश्मन वही है जो खलता है
बढ़ता वही है जो पलता है
मरता वही है जो लड़ता है
संभालता वही है जो गिरता है

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हम टुटे हमारा दिल टुटा ईश्क ने यूँ हमारा वजूद लूटा,
ये किस्मत है हमारी या खुदा का फैसला,
हर मंजिल का साथ ईश्क की वजह से छुटा.

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वहा ना दिन होगा ना कोई रात होगी
ना कोई सुबह होगी ना कोई शाम होगी
मरने के बाद ही सही लेकिन...
अपनी कभी ना कभी तो मुलाक़ात होगी

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