रात के तीन बजे अचानक आकाश क़ी आँख खुल गयी उसका पूरा शरीर पसीने में लथपथ था , फिर वही सपना पता नही इंसान जीवन मै क्या -क्या पाना चाहता है वो एक बेहतर जिंदगी क़ी तलाश में कभी भी अपने आज से सामंजस नही बैठा पाता और हमेशा अपने कल से भागने क़ी कोशिश करता रहता है , आकाश क़ी हालत भी कुछ एसी ही हो गयी थी , उसकी शादी को पाँच साल बीत चुके थे पर इन पाँच सालों मै उसे कभी पाँच रात भी चैन क़ी नींद नसीब नही हुई थी हर रात एक ही सपना उसे झझकोर के रख देता , हर रात बंसी का मासूम चेहरा उसके सामने आ जाता जो उससे जान क़ी भीख माँगता दिखाई देता था और फिर अचानक बंसी ज़ोर-ज़ोर हँसने लगता और उसका चेहरा कठोर होता जाता
आकाश बचपन से ही प्रखर बुद्धि का स्वामी था , बीए करने के बाद सिविल सर्विसेस की परीक्षा पास की और कलेक्टर बन गया , कई शहरों में तबादले के बाद उसको आंध्र प्रदेश के गुडुर में काम करने का मौका मिला था यह शहर माइका की खदानो के लिए दुनिया भर में जाना जाता हैं इस शहर की खदानो से निकला माइका भारत सारी दुनिया में निर्यात करता है बंसी ऐसी ही एक खदान में काम करने वाले मजदूर श्रीनिवास का बेटा था , उसकी माँ उसे जन्म देते वक्त स्वर्ग सिधार गयी और तब से श्रीनिवास ने ही उसे अकेले पाला था जब आकाश गुडुर पहुँचा तो वहाँ के रिवाज अनुसार खदान मालिकों नई उसका भव्य स्वागत किया और सेवा में मुद्रा के साथ -साथ श्रीनिवास को भी उस पर अर्पण कर दिया गया
श्रीनिवास अब सुबह से आकाश के बंगले पर आ जाता , सफाई करता , खाना बनता और शाम को तीन-चार घंटे के लिए खदान में चला जाता,बंसी भी उसके साथ ही आता था और श्रीनिवास के वापिस आने तक बंगले पर ही छोटे मोटे काम करता रहता , पहले कुछ दिन तो आकाश की व्यस्तता के कारण उसका ध्यान बंसी पर गया ही नही पर ऐक दिन जब आकाश दोपहर के समय थोड़ा फ़ुर्सत में था तब उसे बंसी दिखाई दिया पसीने मैं लथपथ अपने छोटे-छोटे हाथों में कपड़ा लिए मेज की धूल झाड़ता हुआ आकाश ने प्यार से उसे अपने पास बुलाया तो वो भागता हुआ आया , हाँ बाबूजी बोलिए , क्या नाम है तुम्हारा , बंसी बाबूजी बड़े होकर क्या बनना है , खदान में काम करूँगा बाबूजी उसकी मासूमियत पर आकाश को हँसी आ गयी , पदाई करते हो , नही बाबूजी चलो में तुम्हे पढ़ाता हूँ और उस दिन से आकाश ने खाली समय में बंसी को पढ़ाना शुरू कर दिया
समय बीतता गया और बंसी के दिमाग़ मैं भी ऐक बात भर गयी की उसे पढ़ लिखकर बड़ा आदमी बनना है , श्रीनिवास भी यह देखकर खुश होता की चलो कम से कम उसके बच्चे का जीवन सुधार जायगा इसी बीच अचानक एक दिन ऐक अनहोनी हो गयी श्रीनिवास की एक दुर्घटना में मौत हो गयी और बंसी अकेला हो गया आकाश अब भी कभी -कभी उसको पढ़ाता था पर जिंदगी की दूसरी व्यस्तताओं के बीच ये क्रम भी धीरे-धीरे छूट गया शुरू में तो बंसी आकाश के बंगले में आता और खड़ा रहता पर जब आकाश उसे समय नही दे पा रहा था तो उसने भी कुछ समय मे वहाँ आना छोड़ दिया , आकाश हर रोज सोचता था की कल वो बंसी की खोज खबर लेगा पर वो कल कभी आ ही नही पाया और समय बीतता गया और बंसी की बातें खदानो के शोर में कहीं खो गयी और वो शहर भी पीछे छूट गया हाँ आज से करीब पाँच साल पहले मीडीया में ऐक बाल मजदूर की कहानी आई थी जिसकी माइका की खदान में दम घुटने से मौत हो गयी थी