Muskurahat (smile)

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  मुस्कराहट

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मुस्कराहट  को हमारी, क्या कहंगे  जनाब ,

 कहना  चाहेगे तो भी, भूल जायेगे आप .  

 यह तो खीच सी जाती है, देखकर आपको,

 पर देखकर हममे, क्यों मुस्कुराते हैं आप ?

   अंजान- सा रिश्ता, बन जाता है एक जो,

 समझे हो गर, तो हममे भी बतलाइए आप.

  देखना  ये की, बेखबर  हैं खुद हमसे,

 कब तलक नजरे वो  चुराएगे, आप.

   करना हो ज़ुल्म, तो  कुछ   और एजात किजिए,

 यु दातो मैं दबा होठ, न मुस्कुराइए आप.

Muskurahat (smile)Where stories live. Discover now