जूनपुर गाँव का एक मोहल्ला. बेहद पतली गली और उस गली में बने हुए बेहद घने मकान. इतने घने कि एक छत पर किसी तरह चढ़ जाओ तो पूरे मोहल्ले की छतों पर घूम लो. सारे मकानों की ऊंचाई एक जैसी थी.
लगता था जैसे पूरे मोहल्ले के मकान एक साथ एक एक इंच नाप कर बनाये गये हैं. लेकिन ऐसा नही था. इन्हीं में से एक घर रामचरन का था. रामचरन के पांच भाइयों के मकान भी उन्हीं के मकान से सटे हुए बने थे.
रामचरन के चार बेटे और एक बेटी थी. बेटी कमला सबसे बड़ी थी. उम्र थी कोई सोलह सत्रह साल की. रामचरन ने बेटी को बड़े होते देख आसपास के लोगों और रिश्तेदारों से कह रखा था कि उनकी बेटी के लायक कोई लड़का हो तो बता दें.
रामचरन की पत्नी सुशीला ने अपनी लडकी को हर काम पहले से ही सिखा रखा था. घर की रोटी बनाने से लेकर खेत और पशुओं का काम भी कमला को खूब आता था.
रामचरन किसी लोहे के कारखाने में बैल्डिंग करने का काम करते थे. घर खर्च के हिसाब की तनख्वाह तो मिल जाती थी लेकिन जोड़ सकने को कुछ न बच पाता था. लेकिन फिर भी रामचरन ने बेटी की शादी के लिए थोडा सा पैसा जोड़ लिया था. अब इन्तजार था तो सिर्फ ऐसे घर का जिसमें अपनी लडकी को भेज सकें.
इस समय गाँव में सब लोगों की यही राय हुआ करती थी कि लडकी जितनी जल्दी अपने घर को विदा हो चली जाए उतना अच्छा है. यही कारण था कि सोलह सत्रह साल की कमला घर वालों को बोझ लगने लगी थी. हालाँकि सब कमला को चाहते थे. पूरे खानदान की सबसे बड़ी और सबसे पहली लडकी थी कमला.
वैसे एक घर था जिसमें रामचरन अपनी लडकी कमला का रिश्ता कर सकते थे. घरवार भी ठीक था और लड़का भी जाना पहचाना था. लेकिन एक ही दिक्कत थी कि उसकी एक शादी पहले से हो चुकी थी और दो बच्चे भी थे. पत्नी की मौत हो चुकी थी. जो रामचरन के खानदान की ही थी.
इस कारण रामचरन उस लडके को जानते थे. अच्छा लड़का कहीं न मिलने के कारण रामचरन अपनी लडकी की शादी इसी लडके से करने के लिए राजी हो गये. जो इस वक्त दो लड़कियों का बाप था और उम्र भी कमला से बहुत अधिक थी.
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मम्मटिया
General Fictionमम्मटिया उपन्यास एक ऐसी स्त्री की कहानी है जो अपने जीवन में आयी तमाम मुश्किलों को झेलते हुये आगे चलती चली जाती है। एक अकेली स्त्री और सामने खडी पहाड सी मुश्किलें। साथ में अगर वो विधवा हो तो उसके लिये जिन्दगी और ज्यादा कठिन हो जाती है। एक महिला कमला...