बिंदिया

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"इन आँखों से मन भरा भी नहीं था और तुमने बिंदिया भी लगा ली, आशिक़ी से पहले आशिक़ खत्म हो गया"

एक अरसे से तुम्हे अपने सपनों में ढाल रहा हूँ, कभी हक़ीक़त में सामने आओ तो पता नहीं दिल सम्भल भी पायेगा या नही। यही कशमकश हर रात आँखे बंद करते ही शुरू हो जाती है, फिर सुबह जब आँख खुलती है, तो वही रोजाना की दौड़धूप में गुम हो जाती है।

लेकिन कल रात जो हुआ, वो आम दिनों से अलग था, तुम सपनों में आयी तो सही, लेकिन कुछ नया सा था। मैंने जब गौर से देखा तो पाया आज तुमने बिंदिया भी लगाई हुई थी। आज तुम्हारी आँखों के लिए चाहत और भी बढ़ गयी थी, ये बिंदिया मेरे एकतरफा प्यार के सूरज की माफ़िक थी, जो शायद मुझे कुछ कर गुजरने को उकसा रही थी।

ऐसा लगा मानो आज एक नया कारण मिल गया हो तुम्हे ढूंढने का। मैने अपने हौसले से पूछा "तैयार हो उनसे मिलने के लिए?" और अपनी ही खामोशी को हाँ समझकर मैंने इरादा पक्का कर लिया।

सबकुछ तैयारी करके, मैं अपने सपने में तुम्हे ढूंढने निकल पड़ा, कभी इस गली तो कभी उस मोहल्ले में। इश्क़ का जुनून धीरे धीरे थकने लगा था, अब हौसले को प्यास लग चुकी थी और तुमसे मिलने की उम्मीदे धुंधली सी होने लगी थी।

कुछ देर और ढूंढने के बाद अब वो पल आया जिसका सामना हर नौसिखिया आशिक़ करता है। उम्मीदें खत्म होने लगी थी, वो चेहरा धुंधला होने लगा था, मानो सपना भी खत्म होने को था।

इसी बुझती सी आस के साथ मैंने एक आखिरी बार जोर लगाया, अपने थके हुए हौसले को एक और बार आजमाया। लेकिन वही बात एक बार फिर दोहराई गयी, नए नए आशिक़ की आशिक़ी आजमाई गयी।

आँखों के आगे सफेद धुंआ छाने लगा था, लगता है सुबह के आने का वक़्त हो चला था। न चाहते हुए भी मेरी आँखें खुलने लगी, कानों को भी अब होश आने लगा।

अब मेरा होश भी सख्त होने लगा था, कानों में किसी के आने की आहट भी होने लगी थी। एक रुपहला साया मेरी आँखों के सामने आने लगा था, शायद दिनचर्या का डाकिया पैगाम देने आया था।

आखिर आँखे खुलने लगी, सबकुछ साफ होने लगा, किसी की सांसो का जिक्र अब मेरे कानों में होने लगा। चौंक पड़ा ये दिल, जानता था किसी अपने की दस्तक है, सोचने लगा ये इंतजार के पल अब कबतक है।

पूरी रात जिसे ढूंढता रहा, मेरे सामने खड़ी थी,समझ नही पा रहा था दिल, ये हक़ीक़त थी या अभी भी आँखों में निंदिया भरी थी।

ये तो खुदा का शुक्र था कि आशिक़ मरते मरते बच गया, क्योंकि जो सामने खड़ी थी, उनके माथे पे बिंदिया नहीं थी।


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