नशा

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एक ही ख़ता हर बार हो जाती है, तुम्हारी आँखों पे कुछ लिखू तो शायरी हो जाती है

दीदार हुआ जब उनकी आँखों का,

दिल का दरिया भी उमड़ पड़ा

मेरे ख़ुदा ये कैसा मंजर है,

जो हूँ नशे में भी अपने पैरो पे खड़ा

आयतें पढ़ने का इंतज़ार करती थी जो,

क्यूँ अपने आप मैं आज खोयी सी है

ये कैसे जादू का असर है,

क्यूँ धड़कने आज सोयी सी है

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⏰ पिछला अद्यतन: Sep 29, 2019 ⏰

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