भगवान को तरह तरह के भोग लगाकर देखा
पाप धोने के लिए सौ बार गंगा में नहाकर देखा
उसको फिजूल ढूंढता रहा मंदिरों में जगह जगह
वो मिला तभी,जब अपने अंदर झांक कर देखाअनुज
आप पढ़ रहे हैं
शायरी ,कविता, प्यार और कुछ जिंदगी
Poetryकुछ कविताएँ कुछ शायरी ,कुछ जिंदगी की बातें ,जिनको पढकर आप अच्छा महसूस करेंगे
भगवान
भगवान को तरह तरह के भोग लगाकर देखा
पाप धोने के लिए सौ बार गंगा में नहाकर देखा
उसको फिजूल ढूंढता रहा मंदिरों में जगह जगह
वो मिला तभी,जब अपने अंदर झांक कर देखाअनुज