याद तुम्हारी इस कदर आती है
जिस्म से जान चली जाती है
मुक्कमिल जहां से छुपाए तो कैसे
एक एक आह सब कुछ बता जाती है
याद तुम्हारी इस कदर आती है
बस रूह तुमसे लिपटना चाहती है
जान तुम पर लूटना चाहती है
पर प्यार तड़प तड़प कर रह जाता है
बस एक याद बाकी राह जाती है
याद तुम्हारी इस कदर आती है
जान, दिल के बहुत पास लगते हो तुम
बस प्यार पाने की तमन्ना में
दिल तड़प तड़प कर रह जाता है
जिस्म से जान चली जाती है
याद तुम्हारी एस्कदर आती है
तुम पास हो तो यह एहसास बार बार होता है
पर जब भी पाना चाहा तुम दूर चले जाते हो
बस दिल में तड़प सी रह जाती है
याद तुम्हारी इस कदर आती है
चले आओ एक बार तुम
ये दिल फरियाद करता है
जानते है हम यह हो नहीं सकता है
फिर भी जान हमारी तुम्हे बार बार बुलाती है
याद तुम्हारी इस कदर आती है
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बिखरे अल्फाज़
Poetryये मेरी लिखी सारी कविताओं का संग्रह है....यदि आपको पसंद आए तो कृपया मुझे वोट करें....नवीन नहर