सुकून बडा हि ए वतन
तेरी मोहोब्बत है.
वतन मेरे तू ही मेरी हस्ती
मेरी चाहत है. कह दो उन सब से
जिन्होने रंगो को बाटा है ;
मेरे तिरंगे ने हार रंग,
हर धर्म को खुदमे समेटा है. स्याही से नही ,विरो के खून से
लिखी गयी है आझादी कि दास्ता
ए हिंदुस्थानी तू ये ना भुलणा
आझादी का बडा मुश्किल था रास्ता. जवानी वो कैसी जो
वतन के काम ना आये.
ए भारत माँ तेरे हि आंचल मे
मेरी सारी उमर निकाल जाये.