दिल में कुछ ख्वाहिश थी अधूरी सी
मुकम्मल होगी क्या वो थोडि सी
खुद से पूछूं मे यही सवाल हर बार
क्या आएगा मेरी ख्वाहिशों का ज़हाजउरुगी संग उसके दो पंख लिए
कुछ बिखरे से कुछ मेले से रंग लिए
किया कभी मुकम्मल होग ये खुयाब
किया पुरी होगी मेरी ख्वाहिशों की दास्तांपंकखो में मेरे वो जान नही
हवा से बाते करती वो बात नही
छीन गया हे मुझसे मेरा घरोनदा
भरा था जो खुयाबो और खुसियो से थोडा।।-Komal
YOU ARE READING
My Quotes & Poems
PoetryQuotes and Poetry in Hindi and English language written by me. I make lot's of spelling mistakes both in English and Hindi so read at your own risk. DO NOT COPY.