बधाई हो आप भारत में हैं,
घर से निकलने की चाहत में हैं।
कुछ मरीजों के ठीक होने से राहत में हैं,
सर पे कफ़न बंधे डॉक्टर की इबादत में हैं।लॉकडाउन से परेशान घरों में बीमार हैं,
यूनिवर्सिटी की मनमानी से परेशान हैं।
डेटशीट के आ जाने से परेशानी में हैं,
जान हथेली पर ले एग्जाम देने की तयारी में हैं।कुछ घर से हॉस्टल जाने की दुभिदा में हैं,
हम मेडिकल वाले हैं तो क्या करे मर जाए।
यूनिवर्सिटी की बातों से थोड़े सदमे में हैं,
ना चाहते हुए भी हम उनके कदमों में हैं ।शायद मेरी बातों से सहमत भी हैं,
कोरोना जैसे वायरस की देहशत में हैं।
एक बार फिर से विनम्रता से कहती हूं ,
बधाई हो आप भारत में हैं ।
.....Pravi
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बधाई हो आप भारत में हैं।
PoetryThis poetry is about today's medical students life. in the pandemic situation of corona