शायद जब मिलना होगा

7 1 0
                                    

शायद जब मिलना फिर से होगा
रात बूढ़ी होगी, सुबह सतह को होगी
सितारे होंगे तो बहुत पर नज़रो को आज वक़्त नहीं सामने तो होगे तुम, हाथ भी बढ़ाऊंगी मै
पीछे कहीं आवाज़, उस कोयल की भी आएगी
चारो तरफ जिसने मुस्कान ही पाई होगी
उस हाथ को कस कर पकड़ लेना
उस एक दिन की चाहत में
अभी तो ज़िन्दगी पूरी काटनी होगी।

World On PaperWhere stories live. Discover now