कुछ सीख बंदे
इन पंछियों से कुछ सीख,
इन लहरों से कुछ सीख,
इन बहती हवाओं से कुछ सीख ॥
ये चलती जाती हैं सब पीछे छोड़,
हर नाता-हर रिशता तोड़।
कुछ तो सीखले ए बंदे ॥---------------------------------------------------------
इन परिंदों से कुछ सीख, यहां वहां उड़ते हैं ,
ना कोई ठिकाना ना इनका कोई अपना ,,
फिर भी चहकते हैं।
मुसकुराते हैं हम सबको कहते हैं,
"हंसले बंदे तू हंसले, यही वो पल है यही वो वक्त है
यही वो मंज़िल है जहां तुझे होना था, देख तू आ गया। "
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कुछ सीखले ए बंदे॥
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