कुछ सफ़र मंज़िल से भी ज़्यादा ख़ास होते हैं

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कुछ सफ़र मंज़िल तक का रास्ता तय नही कर पाते हैं
पर उन सफ़र में मंज़िल ना मिलने का ग़म नहीं होता हैं
हाँ पर ये जो सफ़र हे ना वो अपने आप में ख़ास होता है
क्यूँकि उस वक़्त सबसे अज़ीज़ वो इंसान आपके साथ होता हैं
जिनके साथ हम मंज़िलो की परवाह नही करते
बस उस वक़्त को वहीं थम जाने की दुआए करते हैं
पर वक़्त किसका ग़ुलाम हुआ हैं आज तक
मेरे यार वो तो बस निकल ही जाता हैं
और बस पीछे उस सफ़र की हसीन यादें छोड़ जाता हे
पर हाँ उसके बाद हम तन्हाँ ज़रूर हो जाते हे पर अकेले कभी नही होते
क्योंकि वो सफ़र की यादें हमें उनके होने का अहसास दिलाती रहती हैं
वो वक़्त जो बहुत हसीन गुज़रा था उनके साथ
वो सफ़र जो मंज़िल को मुक्कमल नहीं कर पाया
अधूरा होकर भी अपने आप में पुरी ज़िंदगी का अहसास होते हैं
बस इसीलिए कुछ सफ़र मंज़िल से भी ज़्यादा  ख़ास होते हैं

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⏰ Last updated: Sep 26, 2020 ⏰

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