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  • पलछिन-3
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    मेरी नया कविता संग्रह पलछिन-३। आज 14 सितम्बर 2016 हिन्दी दिवस पर मेरे पाठकों के लिए मेरी और से एक भेंट, उम्मीद है उन्हें ये भेंट अच्छी लगे। ये पलछिन series की मेरी तीसरी पुस्तक है और उम्मीद है कि इसमें संकलित कविताएँ व शायरी पसन्द आएंगी । धन्यवाद :)

  • उम्मीद थी
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    उसने कहा क्या इश्क था ? हमने कहा उम्मीद थी। उम्मीद से फिर इश्क में, तब्दील होने से रही ।। फिर भी चली, आगे बढ़ी, चलती रही फिर ना रुकी। आयत बनी, सजदा हुई, शायद पुजारन बन गई। फिर मजहबी उन्माद में, हिन्दू हुई, मुस्लिम बनी।। उम्मीद से फिर इश्क में, तब्दील होने से रही ।। खेत की पगदंडीयों पर, क्यारियों में खेलती। गांव के सूख...