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Complete, First published Jun 09, 2020
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आदि कैलाश नित्यानंद सर्वज्ञपीठम में श्री राम का आगमन। by HDHHindi
1 part Ongoing
आदि कैलाश नित्यानंद सर्वज्ञपीठम वह स्थान है जहां श्री राम ने अपने जीवन का सर्वोत्तम हिस्सा जिया था। वह सीता देवी, लक्ष्मण, सप्त ऋषियों और स्वयं परमशिव के साथ रहते थे। स्वयंभू नित्यानंदेश्वर परमशिव लिंग, नित्यानंदेश्वर परमशिव देवालयम का मूल विग्रह वह देवता हैं जिसकी श्री रामचंद्र ने स्वयं सीता और लक्ष्मण के साथ व्यक्तिगत रूप से पूजा की, और बाद में हनुमान द्वारा, जब वे यहां रहे।आदि कैलाश हजारों वर्ष पुराने पवित्र कल्पवृक्ष का घर है - इच्छा पूर्ण करने वाले बरगद का पेड़ । यह वह स्थान है जहां श्री राम ने प्रथम व्यास के रूप में, 108 उपनिषदों को संकलित किया और उन्हें मुक्तिकोपनिषद के रूप में श्री हनुमान - अपने परमभक्त को इसी बरगद के पेड़ के नीचे दिया। https://www.facebook.com/100044485207419/posts/542460423913460/
🌻🙏 ଜୀବନର ଶାନ୍ତି  ,🙏🌻 by GopalkrushnaBehera
2 parts Complete
ଶାନ୍ତି ଏପରି ଏକ ଜିନିଷ ଯାହା ଦେଖି ହୁଏନା , କେବଳ ଅନୁଭବ କରାଯାଏ। ଶାନ୍ତି ର ପରିଭାଷା ବିଭିନ୍ନ ବିଦ୍ୱାନ, ଜ୍ଞାନୀ, ଗୁଣୀ ବିଭିନ୍ନ ପ୍ରକାରରେ ବର୍ଣ୍ଣନା କରିଛନ୍ତି। ସେ ସବୁ ମଣିଷର ମନର ଅବସ୍ଥା ଉପରେ ନିର୍ଭର କରେ। ସତ ଗୁଣ ଧାରୀ ସାଂସାରିକ ସୁଖ କୁ ତୁଚ୍ଛ ମାନନ୍ତି। ସେମାନେ ଆତ୍ମାର ସୁଖ ଲୋଡ଼ନ୍ତି। ଏଣୁ ସର୍ବଦା ସଚ୍ଚିଦାନନ୍ଦ ଙ୍କ ସାନିଧ୍ୟ ଲାଭ ପାଇଁ ଚେଷ୍ଟିତ ହୁଅନ୍ତି। ଘଟ ଘଟରେ ବ୍ରହ୍ମ ଙ୍କ ସ୍ୱରୂପ ଦେଖି, ତାଙ୍କ ଲୀଳା ଅନୁଭବ କରି ଆତ୍ମା ଆନନ୍ଦ ଲାଭ କରେ। ଏହି ତୃପ୍ତି ଚିରନ୍ତନ। ଏହାହିଁ ପ୍ରକୃତ ଶାନ୍ତି। ରଜ ଗୁଣୀ ଖୁସି ଓ ଆନନ୍ଦ ପାଇଁ ବିଭିନ୍ନ ବସ୍ତୁ, ଇଛିତ ବ୍ୟକ୍ତି ବା ପରିସ୍ଥିତିରୁ ଆନନ୍ଦ ପାଇବାକୁ ଚେଷ୍ଟା କରନ୍ତି। ଏହି ସୁଖ ର ସ୍ଥାୟୀତ୍ବ ଅଳ୍ପ ସମୟ ପାଇଁ ହୋଇ ଥିବାରୁ,ଶାନ୍ତି ନ ଥାଏ ସେହିପରି ତମଗୁଣି ଅଜ୍ଞାନ ଅନ୍ଧକାରରେ ଥାଏ ଓ ଭୁଲ କୁ ଠିକ୍ ବୋଲି ଭାବେ। ଏହି ପ୍ରମାଦ ଅବସ୍ଥାରେ ସେ ରାଗ, ଦ୍ୱେଷ, ହିଂସା, ଆଦି କର୍ମ କରି କ୍ଷଣିକ ଆନନ୍ଦ ପାଏ ଓ ଶାନ୍ତି ପାଏ ନାହିଁ।
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