Rahulrajdivedi

इंस्टेबिलिटी,एक छोटी सी कोशिश है मेरी जिसमे हम टीनेज के चेंजिंग माइंड्स को दिखाने की कोशिश कर रहे है।
          	हम किशोर भी कितने उत्सुक होते है न अपने जीवन को लेकर??
          	इतने ज्यादा उत्सुक की बार बार होने वाले आकर्षण को ही प्यार समझने लगते है।और सबकुछ छोड़ कर बस उसी में खो जाते है।
          	जरा भी नहीं सोचते की प्यार जीवन में एक बार ही होता है। ना कि हर बदलते रिश्ते के साथ यह भी बदल जाता है।
          	अगर सीधे शब्दों में कहा जाये तो,प्यार क्या होता है??यह तो हम जानते ही नहीं।
          	
          	मैंने बहुत से लड़के लड़कियों नोटिस किया है और अगर मै गलत नहीं हूँ तो अक्सर 15 से 25 साल के युवा हर दिन एक नए रिश्ते के साथ जुड़ते ही उसे प्यार समझने लगते है।और खुद को भुलाकर वो इसमें इस कदर दुब जाते है कि उन्हें अपना होश ही नही रहता।लेकिन जब समय की मार उन रिश्तों को तोड़ देती है तब वही रिश्ते उन्हें खोखले लगने लगते है,जिसने शुरू में उनके होश उडा दिए थे।
          	
          	जो उन्हें कभी ना ख़त्म होने वाला लगता था।
          	वो चार दिन में ही सबकुछ भूलकर नए नए रिश्तों से बन्ध जाते है और फिर उनकी गाड़ी वही से चल पड़ती है जहाँ से शुरू हुई थी।
          	
          	
          	

Rahulrajdivedi

इंस्टेबिलिटी,एक छोटी सी कोशिश है मेरी जिसमे हम टीनेज के चेंजिंग माइंड्स को दिखाने की कोशिश कर रहे है।
          हम किशोर भी कितने उत्सुक होते है न अपने जीवन को लेकर??
          इतने ज्यादा उत्सुक की बार बार होने वाले आकर्षण को ही प्यार समझने लगते है।और सबकुछ छोड़ कर बस उसी में खो जाते है।
          जरा भी नहीं सोचते की प्यार जीवन में एक बार ही होता है। ना कि हर बदलते रिश्ते के साथ यह भी बदल जाता है।
          अगर सीधे शब्दों में कहा जाये तो,प्यार क्या होता है??यह तो हम जानते ही नहीं।
          
          मैंने बहुत से लड़के लड़कियों नोटिस किया है और अगर मै गलत नहीं हूँ तो अक्सर 15 से 25 साल के युवा हर दिन एक नए रिश्ते के साथ जुड़ते ही उसे प्यार समझने लगते है।और खुद को भुलाकर वो इसमें इस कदर दुब जाते है कि उन्हें अपना होश ही नही रहता।लेकिन जब समय की मार उन रिश्तों को तोड़ देती है तब वही रिश्ते उन्हें खोखले लगने लगते है,जिसने शुरू में उनके होश उडा दिए थे।
          
          जो उन्हें कभी ना ख़त्म होने वाला लगता था।
          वो चार दिन में ही सबकुछ भूलकर नए नए रिश्तों से बन्ध जाते है और फिर उनकी गाड़ी वही से चल पड़ती है जहाँ से शुरू हुई थी।