anuj1943

" प्रेमदीप " 
          	
          	जब मेघ गगन में छायेंगे
          	जब पूर्ण चंद्र को छुपायेंगे
          	जब विरह की आग लगायेंगे 
          	तुम प्रेमदीप उज्ज्वलित रखना
          	
          	जब पंछी बगिया में गायेंगे
          	जब मन में कौतूहल जगायेंगे 
          	जब अश्रु आंखों से बह आयेंगे
          	तुम प्रेमदीप उज्ज्वलित रखना
          	
          	जब फूल छटा बिखरायेंगे
          	जब मन में शूल चुभायेंगे
          	जब मन को वो दुखायेंगे
          	तुम प्रेमदीप उज्ज्वलित रखना
          	
          	मैं मिलने तुमसे आऊंगा 
          	ह्रदय की पीड़ा मिटाऊंगा
          	पाकर भाग्य पर इठलाऊंगा
          	तुम प्रेमदीप उज्ज्वलित रखना

anuj1943

" प्रेमदीप " 
          
          जब मेघ गगन में छायेंगे
          जब पूर्ण चंद्र को छुपायेंगे
          जब विरह की आग लगायेंगे 
          तुम प्रेमदीप उज्ज्वलित रखना
          
          जब पंछी बगिया में गायेंगे
          जब मन में कौतूहल जगायेंगे 
          जब अश्रु आंखों से बह आयेंगे
          तुम प्रेमदीप उज्ज्वलित रखना
          
          जब फूल छटा बिखरायेंगे
          जब मन में शूल चुभायेंगे
          जब मन को वो दुखायेंगे
          तुम प्रेमदीप उज्ज्वलित रखना
          
          मैं मिलने तुमसे आऊंगा 
          ह्रदय की पीड़ा मिटाऊंगा
          पाकर भाग्य पर इठलाऊंगा
          तुम प्रेमदीप उज्ज्वलित रखना

anuj1943

" कर्ज "
          
          लगता है तेरे पिछले जन्म के कर्ज चुकाने हैं 
          इसलिए इतनी शिद्दत से हम तेरे दीवाने हैं 
          
          तुम पूछते हो कि मैं और कहीं क्यों नहीं जाता 
          तेरे दर के सिवा मेरे और कहाँ पर ठिकाने हैं 
          
          सवाल है, चेहरे पर क्यों उदासी छायी है मेरे
          दुनिया में अश्क ही आये मेरा साथ निभाने हैं 
          
          खुदा से बढ़ा किसी को पूजना पाप है मगर
          मुझे कौन सा इस दुनिया में पुण्य कमाने हैं 
          
          तुम्हें चाहे लाख दिल तोड़ना आता हो मगर 
          हमें भी आते दिलों में इश्क के फूल खिलाने हैं 
          
          क्यों तुम्हें खौफ इस दुनिया का है इस कदर
          सुनो दिल की वरना बाकी सब तो  बहाने हैं
          
          

anuj1943

"प्यार के साइड़ ईफेक्टस "
          
          एक सांइस का विधार्थी, आशिकी के चक्कर में एक्जाम गंवा बैठा 
          जब आया जिगर का चित्र बनाने को तो वो दिल का चित्र बना बैठा 
          
          एक गणित का विधार्थी, आशिकी के चक्कर में खुद को फेल करा बैठा
          जब पूछा दो और दो जोड़ने को,तो प्यार में पाँच हो जाते हैं समझा बैठा 
          
          एक इतिहास का विधार्थी, आशिकी के चक्कर में भविष्य खराब करा बैठा
          जब पूछा लक्ष्मीबाई का पूरा नाम परीक्षा में,तो कंगना राणावत बता बैठा
          
          एक मनोविज्ञान का विधार्थी, आशिकी के चक्कर में डिप्रेशन में आ बैठा
          जब पूछा गया दुनिया का सबसे बढ़ा डर तो वो जुदाई का डर बता बैठा 
          
          इसिलिये अगर चाहते हो कि जीवन में उन्नति की सीढियाँ तुम चढ़ो
          तो भाईयों, न तो आशिकी को पढ़ो और न ही आशिकी में पढ़ो

anuj1943

प्रेमपाति में ही लिख लाया हूँ मैं तुमसे अपनी विरह को
          हे प्रियतम तुम ही बोलो कैसे खोलूं मैं मन की इस गिरह को
          
          जर्जर मन से और नहीं सह पाता हूँ मैं पीड़ा को 
          हे सुंदरी बंद करो ह्दय घातक अपनी क्रीड़ा को 
          
          अपनी बहती अश्रुधारा को और बांध नहीं पाता हूँ 
          हे मोहिनी हर पल बेसुध तेरे ख्यालों में खो जाता हूँ 
          
          दुनिया  में जो कुछ भी है सुंदर तुम उसका एक दर्पण हो 
          हे कामनी तुम ही बोलो कैसे ये जीवन तुमको अर्पण हो
          
          अनुज