surbharti
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http://bharti45.blogspot.in/?m=1 Ek Bund Zindagi... एक बूंद पानी की बनकर बह चलूं मै दे दे ईतनी भी ज़मीन के फूल बनकर खील सकु मैं कहने को तो पूरा जहां है मेरे साथ फीर भी कुछ नही मेर पास एक पंछी बनकर कहीं दूर उड़ चालू मैं दे दे इतनी सी रोशनी के दिल का अंधेरा दूर कर सकु मैं कोई टूटी हुई उम्मीद अभी भी जैसे कायम है पलको में पल रहा जैसे सावन है एक मुस्कान बनकर फिर से खिल सकु मैं दे दे इतनी सी ज़िन्दगी की थोड़ा सा जी सकु मै वक़्त के साथ सबकुछ बदल गया यादों में कैद हर लम्हा वो रह गया एक सितारा बनकर कही दूर रहने चलु मैं दे दे इतना सा सुकून के आंखों को राहत दे सकु मैं By -surbharti