swapwrite

@sweety101 Thank you  for your massage... I shall definately do that... yes i m into romance... infact  if u read my script its alo about romance... Take care.. keep writing...

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@munz03 first which lace that? people speak urdu more than hindi? thats very interesting.. Ok this ghazal is for you... I love urdu.. The kind of description that you can give in urdu are amazing.. 
          
          ज़ख्म दिए अक्सर उसी ने जिसे हमने दवा दी
          दोस्ती के चरागों ने मेरे दिल की तह जला दी
          
          ज़माना जो कहकर न दे सका हमे कभी
          खामोशी ने तेरी जालिम हमे वो एक सज़ा दी
          
          ये क्या के हर मोड़ पर गिरा मैं लड़खड़ाकर
          वक़्त-ए-रुखसत रहनुमा ने ये कैसी दुआ दी
          
          एक उम्र साहिलों कि जिसकी की थीं हिफज़तें
          उसी समंदर ने सुना कल मेरी कश्ती डूबा दी
          
          बुझ न सकी नफ़रतों कि ये तशनगी तुमसे
          लावजह शहर में क्यों खून कि दरिया बहा दी
          
          है वो बेवफा यक़िन दिल को आज भी नहीं
          मजबूरियों ने शायद तेरी बेरुखी को हवा दी
          
          वो हुस्न कि नज़ाक़त हम इश्क कि शराफत लिए
          बिछड़ गए न कभी उसने न हमने कोई सदा दी
          
          उनको चाहिए था ख्वाबगाह एक ताज सा
          शाहजहाँ ने क्यों ये इमारत मोहोब्बत कि बना दी
          

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@Rebeca, Thank you for kind words... Its good to have you read my stuff... Do mention low points also if you feel.... I do write poetry bt b some other name as in shayari we adopt an urdu name which called 'makhta' in ghazal. I'll share one of those ghazals with you next time... this time its hindi again... its called... मैंने देखा है तुम्हें...
          
          
          मैंने देखा है तुम्हें….. तुम्हारी मुस्कुराहटों को..जो होठों पर खिलें तो रोशनी हो जाती है
          मातम मना रही मेरी हर सांस में ज़िन्दगी भर जातीं है ….
          
          कभी देखा था उन होठों को और होठों पर सजी उस लाली को..
          जैसे बहारों के मौसम ने सजाया था किसी फूलों की डाली को,,,
          
          मैंने देखा है उन आँखों में जिनमें. जहां दुनिया को देखने का खुबसूरत नजरिया है…
          उन आँखों में कभी दर्द का समंदर.. तो कभी जज्बातों का दरिया है,,,,
          
          मैंने देखा है ..संग-ए-मर्मर सा तराशा हुआ तुम्हारा वो जिस्म…
          जो कभी रातों में ताजमहल है कभी कश्मीर का सवेरा है !
          फूलों की वादियों सा महकता तुम्हारा दिल…
          जिसमे चाहत है मेरी और सिर्फ मेरा बसेरा है…
          
          इस तरह ,,हर रोज़ तुममें एक नयी कायनात ढूँढता हूँ…
          इसलिए तो मैं तुम्हें ..और सिर्फ तुम्हें ही देखता हूँ
          
          तुम हंसकर कह दोगी के यह तो सब किताबी बातें हैं,
          पर ये कभी ना समझोगी…
          के तुम में इतनी खूबियाँ देखनेवाली ,,मेरे मन की दो आँखें हैं..
          
          वही आँखें..जो दुनिया की परवाह नहीं करती;
          वही आँखें..जिनको तुममें कभी कोई नुक्स..कोई छलावा दीखता ही नहीं
          तो फिर इस देख सकने वाली दुनिया के लिए ….मैं अंधा ही सही”
          
          जो देख लेते हैं दुनिया के खूबसूरत नजारों को ….सच्चा प्यार ही कभी दिखता नहीं उन्हें
          हर पल..हर लम्हा…हर दिन मन की इन्ही दो आँखों से …मैंने देखा है तुम्हें..
          
           visit quillpad.com to write in hindi..
          

Rebeca1991

i must say u are an amazing poet!!! it was so beautiful!!!!!!! i mean its just... WOW!! u left me speechless there!!! and the words were like music!! u have an amazing talent!!! 
          and well even i write hindi poems!(not as good as yours!lol)i never posted them here as i dont know how to type in hindi in my laptop!!lol. so i just post my english works!
          
           ok i know i have already said this but i just loved this one!!! the way you wrote and the ending line was like superb!!! i would love to read more of them! 
          

swapwrite

@Rebeca I am glad you liked my poem... I write a lot of hindi poetries... Its great to see another Indian here.. where you from? This one is for you...
          Its called  नक्श-ए-हकीक़त...Enjoy.. :)
          
          हर हुस्न से हसीं था जो
          वो ज़माना-ए-मुहब्बत बहुत खूब,
          
          
          अश्कों से नमकीन था जो
          वो लम्हा-ए-फुर्सत बहुत खूब
          
          
          बहुत खूब था मेरे कूंचे में आना उनका
          ज़रा ग़मगीन था जो 
          वो अंदाज़-ए-रुखशत बहुत खूब
          
          
          आसमानों पै कदम रखने को, 
          हुआ चाहता था दिल, और
          कदमो के नीचे ज़मीन थी जो,
          वो राह-ए-ज़न्नत बहुत खूब.
          
          
          अरमानो से सजी थी दिल की महफ़िल,
          और जहाँ में ज़लील था जो,
          वो निगाह-ए-हसरत बहुत खूब.
          
          
          ना फ़रियाद ना कोशिश की थी हमने
          और मिलने का यकीन था जो
          यो तोहफा-ए-कुदरत बहुत खूब
          
          
          अश्कों से तर चश्म पै, 
          कुछ ख्वाब सजते थे.
          और ख्वाबो में रंगीन था जो,
          वो नक्श-ए-हकीक़त......... बहुत खूब