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So you should read it too
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यु तो बोहुत कुछ है मेरे पास व्याख्या जग को देने के लिए
क्युकी इन देवी को भी दिए गए थे कष्ट हजारो सहने के लिए
मन-मंदिर में सजती है जो द्वारिकाधीश के साथ
उसके पीछे का पूर्ण रहस्य आज लगा है मेरे हाथ
:ह्रदय मृदुल, केश काले हैं,मृगनयनी कहलाने वाली वो विधर्व की राजकुमारी हैं
महाराज भीष्मक को अति प्रिय, पर भाई के लिए एक वस्तु थी
फिर भी रुक्मिणी को रुक्मी से कुछ आस तो थी
मगध सम्राट से रिश्ता विधर्व का बड़ा अच्छा था
जानते नहीं थे भीष्मक की स्वार्थी था जरासंध सच्चा नहीं था
आया था विधर्व एक बार प्रतिशोध की अग्नि में जलते हुए
कृष्ण को खली-खोटी सुना रहा था कंस वध पर उबलते हुए
केशव का नाम सुनते ही रुक्मिणी मोहित हो गयी
छवी देखे बिना ही प्रेम हो गया स्वार्थरहित
आक्रमण मथुरा पर करने वाला था जरासंध
जनता नहीं था, की हैं बुद्धि से बड़ा मंद
रुक्मिणी भयभीत होकर गयी कृष्ण को बताने
पकड़ लिया जरासंध ने और बिठा दिया कारावास के सिराने
छेदी नरेश शिशुपाल से राजकुमारी को विवाह स्वीकार न था
क्युकी उनके मन में तो मोहन राधा वाला था
पत्र लिखे कई कान्हा को बिन इच्छा विवाह की बात बताने के लिए
आखिर में कृष्ण आए वैदर्भी को बचाने के लिए
पूरी सेना के सामने से ले गए रुक्मिणी को रथ पर
रोकने का प्रयास किसी ने न किया क्युकी टुटा था अहंकार जो चढ़ा था सर पर
अमर न तो वो जरासंध, न शिशुपाल था
भीम ने मारा जरासंध, सुदर्शन वध हुआ शिशुपाल का
रुक्मिणी सदा रही महारानी वेश में
16,107 पत्निया और थी पर मन तनिक भी न था द्वेष में
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SOME BRAIN CELLS ARE NOW IN HOSPITAL BECAUSE OF EXCESS USE
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THIS IS THE SHORT STORY OF RANI RUKMINI AND HER LIFE
HARE KRISHNA
TATAAA...
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JUST BEING A SMALL POET
PoetryAS I HAVE WRITTEN SOME POEMS ...JUST SOME AND WHENEVER I'LL WRITE SOMETHING I'LL SHARE THAT IN THIS POETRY BOOK THIS BOOK WILL HAVE SLOW OR VERY SLOW UPDATES CAUSE I WRITE SOMETIMES AND SOMETIME NOT THAT'S IT AND THIS WILL BE IN HINDI IF I WRITE SOM...