ख्वाबों को सजाने वाली मां

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कभी बेटी बनकर जो किसी के
घर में खुशियां लाई थी
दर्दों के उस पार खड़ी
मां की एक परछाई थी
जिंदगी और मौत की जंग में
कैसा यह पहरा था
आंधियों में भी चमकता है
आज मेरी मां का चेहरा था

पक्षी भी गाने लगे
सबको वह भाने लगे
जन्म हुआ था मेरी जन्नत का
तब स्वर्ग जैसे धरती पर अफसाने लगे
सूरज भी खुशी में गाता है
चंदा भी आज मुस्कुराता है
मेरी भी कुछ फरमाइश थी
चांद भी आज सरमाता है

तितली ने इंद्रधनुष बनाया है
धरती को स्वर्ग की तरह सजाया है
वह पल भी कैसा पल था
क्या वापस कभी वो आएगा
खुशियों की दौलत में क्या यार
वक्त बदल ना जाएगा

जब भी किसी के घर में बैटी हो
तो खुशी से दिल को 4 करो
मत मारो बेटी पेट में
इनको भी यारों प्यार करो

इस कलयुग का यह चक्कर बुरा
सब पैसा पैसा करते हैं
जिनकी जन्नत थी कभी मां की गोद में
वह आज पैसे के पीछे लड़ते हैं

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