जिसकी उंगली पकड़ कर लोग
दुनिया की सैर करते हैं
जिसके चेहरे की मुस्कान के लिए
हम सारे नाटक करते हैं
बदलता है जब वक्त यार
तब उससे ही क्यों लड़ते हैंकंधों पर जिसके दुनिया देखी
इस जहां को जो समझाती है
पैसे का नशा अजीब है यार
वह मां याद तलक नहीं आती हैलालच से बड़ा कोई बाप नहीं
सब इसके बैटे होते हैं
जो पैदा करते हैं हमको
हम उनको ही खो देते हैंदुनियादारी के चक्कर में
जो मां का सम्मान जो घटाओगे
चाहै नहा लो लाख बार गंगा
पर नर्क को ही तुम जाओगे
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ख्वाबों को सजाने वाली मां
Poetryहारा नहीं हूं मैं मां विश्वास अभी बाकी है तोड़ेगा यह जमाना कैसे मुझे मेरी मां का साथ अभी बाकी है ए जमाना कितना भी रूला ले तू मुझे कुछ तो मेरे पास है पर वह अभी वाकी है दुश्मन है जमाना आज मेरा और मेरी मां का साया आज भी मेरा सच्चा साथी है मुझे पता है...