क्यूँ खफ़ा होकर बैठो हो हमसे
तोड़ दो ना ये खामोशी
गुस्सा हो तो डांट लो
नाराज़गी है तो जाता लो।।इस कदर मेरी मोहब्बत का इम्तिहान ना लो
तुम्हारा यूं चुप रहना रूला देता है मुझे
तुम अगर यूं मुँह मोड़ लोगे
तो हाल-ऐ-दिल किस से कहेंगे।।एक सिर्फ तेरे लिए पूरी दुनिया गैर कर आयी हूँ
अब तुम नजरअंदाज करोगे
तो कैसे संभालेंगे खुद को हम
कुछ कहना होगा तुमसे तो कैसे कहेंगे हम।।यूँ मौन ना बैठे रहो
कुछ बाते करो लो हमसे
गुस्सा हो तो डांट लो
नाराज़गी है तो जता लो।।अभिराज्योति ❤
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ये कैसी रीत
Poetryजन्म और मौत के बीच हम कितने लोगो से मिलते है, कितने यादें बनाते है, कुछ रिश्ते भी बना लेते है, उन में से कुछ रिश्ते ऐसे होते है, जो जिंदगी की बहुत बड़ी सीख देते है कुछ साथ निभाते है, कुछ छोड़ कर चले जाने हैं