राझ की बात

9 1 0
                                    

खुले बालों को संवार तो लोगी
कंधे पर पढ़ी नजर को उतार तो दोगी

जाते जाते अंग जो लग गया
उसको जरा मीठा तो दोगी

पर मेरी आंखों में है तेरा रूप
क्या ओ निकाल पाओगी

शायद तु अब धूल गई, सब भूल गई
पर यार तेरी याद पर मुझे याद आ गई

पता है अकड़ अकड़ में मुंह फेर लिया तूने
मत भूल हजार बार मनाया जिसने

चल कोई राज की बात करू
तेरे संग मैं तुझपे मरू

पर पूरी कर तेरी तलाश फिरसे मिल जाउ
मेरे जैसा कोई मिले तो मैं उसे मिलने आऊ

You've reached the end of published parts.

⏰ Last updated: Oct 02, 2022 ⏰

Add this story to your Library to get notified about new parts!

यादWhere stories live. Discover now