एक ही विषय पर 6 शायरों का अलग नजरिया.... जरूर पढें :-
1- *Mirza Ghalib*: 1797-1869
*"शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर,*
*या वो जगह बता जहाँ ख़ुदा नहीं।"*....... इसका जवाब लगभग 100 साल बाद मोहम्मद इकबाल ने दिया......
2- *Iqbal*: 1877-1938
*"मस्जिद ख़ुदा का घर है, पीने की जगह नहीं ,*
*काफिर के दिल में जा, वहाँ ख़ुदा नहीं।"*....... इसका जवाब फिर लगभग 70 साल बाद अहमद फराज़ ने दिया......
3- *Ahmad Faraz*: 1931-2008
*"काफिर के दिल से आया हूँ मैं ये देख कर,*
*खुदा मौजूद है वहाँ, पर उसे पता नहीं।"*....... इसका जवाब सालों बाद वसी ने दिया......
4- *Wasi*:1976-present
*"खुदा तो मौजूद दुनिया में हर जगह है,*
*तू जन्नत में जा वहाँ पीना मना नहीं।"*वसी साहब की शायरी का जवाब साकी ने दिया
5- *Saqi*: 1986-present
*"पीता हूँ ग़म-ए-दुनिया भुलाने के लिए,*
*जन्नत में कौन सा ग़म है इसलिए वहाँ पीने में मजा नही।"*2019 के शायर
👇👇👇*"ला भाई दारू पिला, बकवास न यूँ बांचो,*
*जहाँ मर्ज़ी वही पिएंगे, भाड़ में जाएँ ये पांचों"*😂🤣😜😝😆
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