धूप में बहुत जल गए हो तुम, मैं तुम्हें अपने साये में रखना चाहती हूँ तुम कहो तो अपना सब कुछ दे दूँगी तुम्हें, मैं कहीं तुम में रहना चाहती हूँ,
दुनिया की भीड़ में कहीं खो दिया है तुमने खुदको, मैं तुम्हें तुमसे मिलाना चाहती हूं। कोशिश करो फिर भी मुझे दूर करने की, मैं हमेशा तुम्हारे पास रहना चाहता हूं।
जानती हूं, बहुत तकलीफ में रहते हो आज-कल, मैं तुम्हारी तकलीफ बटना चाहती हूं। ज़माना उठाये सवाल मुझपे, तुमपे और हमपे, मैं फिर भी तुम्हारी बनना चाहती हूं।अक्सर झूठ बोलते हो कि ठीक हो मैं तुम्हें सच में खुश रखना चाहता हूं। तुम कहोगे तो अपना सब कुछ दे दूंगी तुम्हें, मैं कहीं तुम में रहना चाहती हूं।...🌸
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Tum Ordinary Nhi ho Tum Special Ho....❤️
PoesíaIn Lines ka vastavikta se koi lena dena nhi hai it's all my imaginary senerios 😅