Episode 3

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मध्य जुलाई की एक रात, मूसलाधार बारिश के बीच, पृथ्वीराज अपने विशाल पुस्तकालय में एक प्राचीन ग्रंथ में तल्लीन था। 2000 से अधिक दुर्लभ पुस्तकों से भरे इस पुस्तकालय में, रात के 2 बजे भी, पृथ्वीराज की आंखें उस विशाल ग्रंथ से हटी नहीं थीं।

तभी उसकी पत्नी, माया, उसके पास आई। चिंता उसके चेहरे पर साफ़ झलक रही थी।

"Prithvi, it's 2 AM! What are you doing here? It's pouring outside. Let's go to bed." माया ने कहा, उसकी आवाज़ में प्यार भरी फिक्र थी।

पृथ्वीराज ने किताब से अपना ध्यान हटाया और माया की ओर देखा। उसकी आंखों में एक रहस्यमयी चमक थी।

"Maya, this is no ordinary book. I got this from a powerful tantrik in the hills of Himachal. He was too strong for me to control."

माया की आंखें चौड़ी हो गईं। "How did you get this book then?"

"I had to trick him, Maya. This book contains secrets and mantras that can make me rule this world. But it's not easy."

पृथ्वीराज ने किताब को बंद किया और उसे एक रैक में रख दिया। "You're right. I need some rest."

लाइब्रेरी की लाइट बंद करके, वो माया के साथ अपने शयनकक्ष की ओर चल दिए।

दूसरी ओर, वनसार जाति के शैतान, रिया के पिता, अपनी खिड़की से बाहर मूसलाधार बारिश को देख रहे थे। उनकी पत्नी, शर्मिला, उनके पास आई।

"क्या हुआ? सोना नहीं है?" शर्मिला ने प्यार से पूछा।

रिया के पिता ने एक गहरी सांस ली। "एक समय था जब मैं रात को शिकार करने निकलता था। इंसानों का ताज़ा खून पीता था। और आज एक समय है जब मुझे एक आम आदमी की ज़िंदगी गुज़ारनी पड़ रही है।"
शर्मिला ने एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ कहा, "कोई नहीं, वो दिन भी जल्द वापस आएंगे।"

रिया के पिता ने शर्मिला की ओर मुड़कर उसे होंठों पर चूम लिया।

इतनी तेज़ बारिश और बिजली की कड़कड़ाहट ने जैस्मीन को भी सोने नहीं दिया था। वो अपनी खिड़की के पास आकर बारिश को देखने लगी। तभी उसकी नज़र पड़ोस के घर में एक लड़के और लड़की पर पड़ी।
लड़की खिड़की को पकड़कर कमर में थोड़ा झुकी थी और लड़का पीछे से उसके अंदर प्रवेश कर उसे ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहा था।

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