सिया की कश्मकश

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         बेटी को तो ससुराल में ही रहना होता है...

लोग बड़े अजीब होते हैं जब दूसरे के लिए कुछ कहना या करना होता है तब कुछ कहते हैं लेकिन जब अपनी बारी आती है तो उनके सुर ही बदल जाते हैं चाहे हालत बुरे हों या अच्छे। अब इसी कहानी को ले लीजिए।

सिया जो इस कहानी की मुख्य किरदार है।सिया की शादी हुए कुछ साल बीत चुके हैं।उसके 2 बेटे हैं दोनो ही छोटे हैं बड़ा लगभग 7 साल और दूसरा लगभग 4साल।उसके ससुराल में सिया उसके पति,बच्चे,सास - ससुर ,एक बड़ी ननद और ननद की बेटी रहते हैं।उसकी ननद शादी के एक साल बाद ही अपने पीहर आ गई थी यहां तक की उसकी बेटी भी यहीं उसके पीहर में ही हुई थी। और कुछ एक दो बार ससुराल आने जाने के बाद उसने वहां जाने से मना कर दिया और कुछ साल केस चलने के बाद उनका तलाक हो गया।उसकी बेटी भी 17 साल के लगभग हो गई है।सिया की ननद भी कुछ कमाती नहीं है और घर के काम करने में तो आफत ही आती है तो घर का सारा खर्चा और  इन दोनो मां बेटी का भी सारा खर्च सिया के पति और सिया के ससुर ही चलाते हैं। सिया के ससुर रिटायर्ड हैं और उनकी कुछ पेंशन आती है जबकि सिया के पति एक कंपनी में काम करते हैं जहां से ठीक ठाक तनख्वाह मिल जाती है और खर्चा बड़े आराम से निकल जाता है।

अब आते हैं सिया के पीहर पर, सिया के 2 भाइयों और एक बहन की शादी यही कोई एक डेढ़ साल पहले ही हुई थी।उसके पीहर में उसके मम्मी पापा, दो भाई और भाभी दोनो भाई के दो छोटे छोटे बच्चे रहते हैं जिनमे एक भतीजी बड़े भाई की जो 1 साल की और 1भतीजा छोटे भाई का जो सिर्फ 1.5महीने का है, रहते हैं।

अब वापस सिया पर आते हैं। सिया खुद एक टीचर की जॉब कर रही थी, जो कि अब ना जा पाने के कारण छूट ही गई है। क्यू छूट गई है इसका कारण है सिया का पति माधव।
अभी लगभग 2 साल पहले तक सब कुछ लगभग ठीक ठाक ही चल रहा था कि अचानक ही पता चला की माधव को कैंसर है।सिया और उसके पति पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।

तब से दोनो लड़े जा रहे हैं माधव कैंसर से और सिया कभी अपने आप से कभी किस्मत से तो कभी अपने पति का ख्याल रखते हुए उसका इस लड़ाई में साथ देने में।

लेकिन होनी को देखिए कि जब माधव के कैंसर का पता चला तब स्टेज 2 थी  वह रेयर और बहुत तेजी से फैलने वाला था इस पर भी वह छाती में था। तुरंत कीमो भी करवाई और ऑपरेशन भी फिर भी वह 3 महीने के अंदर ही स्टेज 4 भी हो गया।

अब कुछ महीनो से किसी भी दवाई ने कैंसर पर असर करना भी बंद कर दिया है और धीरे धीरे हालत गंभीर होती जा रही है यहां तक की वह बिलकुल बेड पर हो गया और ICU तक पहुंच गया।
मारे टेंशन के इधर सभी की हालत खराब हो गई और खासकर सिया की। उसकी तो मानो दुनिया ही उजड़ गई।
इधर सभी खासकर सिया के मायके में उसके मम्मी पापा और भाई बहन सब इस बारे में सोच सोच कर दुखी हो रहे थे साथ ही वे आगे क्या करना चाहिए ये सोच रहे थे।क्योंकि वो सभी जानते थे कि अगर माधव को कुछ हो गया तो सिया और उसके बच्चों का क्या होगा क्योंकि उसके सास ससुर को तो उसकी ननद और उसकी बेटी बहुत प्यारे थे उन्हे और किसी से कोई फर्क नही पड़ता  उन्हे अपनी बेटी और उनके बच्चों के अलावा कोई नहीं दिखाई देता था।

कहीं ना कहीं वो सभी जानते थे कि सिया सिर्फ माधव के कारण अपने ससुराल में रह रही है वरना वो कब की वहां से निकल गई होती।इसी बीच जब सिया के पापा की बात उसके बड़े भाई के ससुर से होती है कि माधव की हालत बहुत नाजुक है अगर कुछ हो गया तो सिया और उसके बच्चों का क्या होगा तो बातों बातों में ही उन्होंने सिया के पापा को बोल दिया कि चौधरी साहब कुछ भी हो बेटी को तो ससुराल ही रहना होता है।उन्होंने जता ही दिया कि सिया के पापा भूल कर भी ये ना सोच ले कि वो सिया को उसके पीहर में रहने देंगे।

सिया की कश्मकश Where stories live. Discover now