1-नीलगिरी के जंगलों में तबादला

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सोमू वन विभाग में वन अधिकारी के पद पर तैनात था।सरकारी नौकरी में इधर-उधर तबादले होना तो आम बात होती ही है,ऐसी ही आम बात सोमू के साथ हुई और उसका तबादला पश्चिमी घाट के नीलगिरि क्षेत्र के जंगलों में हो गया।ये जंगल अपने घनेपन,उँचे नीचे पर्वतीय ढलान भरे खतरनाक रास्तों तथा साथ ही सामाजिक अस्थिरता के लिये कुख्यात थे।जंगल को लेकर लोगों में पहले से ही तरह-तरह की भ्रान्तियाँ थीं।जंगल में चारों ओर डर ही डर विधमान था बाकि जंगल की सुंदरता और प्रकृति की अप्रतिम धरोहर उस जंगल में विधमान थी ही।सोमू नई दिल्ली का बाशिंदा था और अब दिल्ली से सीधा नीलगिरि सो उसके लिए ये सब कठिन तो था ही।सोमू शहर में पला और पढ़ा था उसे जंगल उबाऊ ही लगते थे मगर अब तो जंगल में ही रहना होगा,मजबूरी है सो सोमू जी को अब आना ही होगा अपने इस जंगली बँगले में क्योंकि उनके अपने तबादले को रुकवाने के सभी प्रयास असफल हो चुके थे।ये सरकारी दफ्तर जंगल के बिल्कुल मध्य में बना था यहीं से पूरा जंगल नियंत्रित होता था।जंगली जानवरों की शिकारियों से सुरक्षा,उनका पुनर्वास और तस्करों से वनस्पतियों का संरक्षण आदि हेतु वन विभाग का यही एकमात्र दफ्तर इस जंगल में कार्यरत था।दफ़्तर वाली सड़क पर ही दफ़्तर से कुछ ही दूरी पर कर्मचारियों हेतु अपार्टमेंट बने हुए थे उन्ही के बराबर में एक पार्क के बाद वन अधिकारियों के बँगले बने हुए थे,जिनमें से एक बँगला सोमू को मिल चुका था,वह जब भी जॉईन करेगा तो उसे उसी में रहना होगा।अगर किसी के पास कोई सुविधा है तो उनके लिए इनमें रहने की कोई सरकारी बाध्यता नहीं थी।
सोमू की पत्नि रेवती एक गृहणी थी हालाँकि वह इतिहास में मास्टर थी फिर भी उसने गृहणी बनना ही पसंद किया।उनके दो लडके थे पहला 5 वर्षीय जिबोना और दुसरा 3 वर्षीय चाना।ये दोनो भी स्कूल जाते थे तो तबादले के बाद इनके लिए जंगल के आस पास ही कोई अच्छा स्कूल ढूँढना भी बहुत बड़ी चुनौती थी।अगर कोई अच्छा स्कूल मिल भी जाए तो एक चुनौती यह भी थी की चाना स्कूल की छुट्टी होने से पहले ही स्कूल से बाहर न भाग आया करे।ऐसा उसने अपने इस स्कूल में कई बार किया था।एक बार तो चाना थाने से प्राप्त हुआ था, तब रेवती जी ने स्कूल में जाकर बहुत हंगामा खड़ा किया था और स्कूल के संचालक मंडल पर बच्चों का ध्यान न रखने का आरोप लगाकर वाद भी दायर किया था हालाँकि संचालक मंडल के द्वारा खुशामंद करने और विधार्थियों की सुरक्षा का पूर्ण आश्वासन देने के पश्चात उन्होंने उस वाद को वापस ले लिया था।वो तो शहर था लेकिन जंगल में ऐसी लापरवाही भारी पड़ सकती है सो चाना को लेकर कुछ डर तो था ही।
जब सोमू शाम को ऑफ़िस से घर लौटे तो लौटते ही रेवती बोली,''क्या हमें जाना ही होगा या तबादला रुक सकता है।''
सोमू थका हारा सा बोला,''पूरा जोर लगा चुका हूँ कि तबादला रुक जाये लेकिन बात नहीं बनी।खैर, कोई बात नहीं जंगल का भी अपना एक अलग ही मजा होगा जिसकी हमें भी धीरे-धीरे आदत हो ही जायेगी और वैसे भी तुम तो बहुत धार्मिक महिला हो वहां मंदिर भी काफी हैं तुम्हारा तो मन लग ही जाएगा।''
थोड़ा मुस्कुराने की ऐक्टिंग के साथ सोमू ने रेवती को ये बात बताई लेकिन उसके चेहरे पर उबाऊपन और तबादला ना रोक पाने की थकावट साफ झलक रही थी।अब वहां कुछ तो अच्छा देखना ही होगा इसलिए मंदिर वाली बात कह दी।रेवती को भी यह खबर अच्छी लगी।
रेवती ने अब थोडी उत्सुकता दिखाई और पूछा,''अच्छा वहाँ किस-किस भगवान के मंदिर हैं?
सोमू ने भी उत्सुकता दिखाई और बोला,''वहाँ शिव जी के कई प्राचीन मंदिर हैं और काली माता जी,दुर्गा जी,हनुमानजी के मंदिरों के साथ-साथ बहुत से नामी-गिरामी ऋषियों और मुनियों के आश्रम भी है।
रेवती खुश होते हुए बोली,''ठीक है,मुझे लगता है कि हमें भगवान ने ही अपने दर्शनों हेतु बुलावा भेजा है।''
सोमू खुश होकर बोला,''हाँ तो ठीक है,हमें ये बुलावा स्वीकार है।''
रेवती ने एकदम पूछा,''मगर... हम वहाँ रहेंगे कहाँ?
सोमू ने बताया,''मुझे जंगल में ही सरकारी सुविधा के रूप में एक बँगला मिलेगा,उसमें मैं अपने परिवार के साथ रह सकता हूँ।''
रेवती बोली,''ठीक है तो ...अब प्रस्थान की तैयारियां करते हैं।''
दोनों ने मन से तबादले को स्वीकार किया।जंगल को लेकर उपजी सभी भ्रांतियों का अंत मन की कठोरता से किया और उनके स्थान पर नयी और सकारत्मक कहानियों और किस्सों को स्थान दिया।रेवती का कुत्ता सिम्बा उसके पास ही बैठा था,रेवती ने उसकी कमर के ऊपर हाथ फेराते हुए सिम्बा से प्यार से पूछा,''सिम्बा!तू भी चलेगा ना हमारे साथ?
सिम्बा अपनी पूँछ को तेजी से हिलाता हुआ रेवती का हाथ चाटने लगा मानो कि कह रहा हो कि 'क्यों नहीं।'

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