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कन्या हूँ,

 पूजित हूँ क्योंकि मैं लक्ष्मी हूँ।

 रंग में काली हूँ, क्योंकि काली का स्वरूप हूँ।

 संगीत से प्रेम है, क्योंकि सरस्वती हूँ।

 मेरे चरण जिस जल में पड़े, वह अमृत हो जाता है, क्योंकि मैं भगवान की अनोखी रचना हूँ।

 स्त्री हूँ।

कहा जाता है कि हर पुरुष में एक स्त्री का अंश होता है, वैसे ही मेरे भी कई रूप हैं।

 तुम्हारे हर पाप माफ करती हूँ कृष्ण की तरह,

 त्यागी हूँ शिव की तरह,

 गहराई में रहती हूँ विष्णु की तरह,

 इस पृथ्वी को बनाया है और नई पीढ़ी को जन्म दिया है ब्रह्मा की तरह, 

शांत हूँ राम की तरह,

 स्वाभिमानी हूँ दुर्गा की तरह,

और इंतजार कर रही हूँ सीता की तरह,

 दिल में प्रभु हैं हनुमान की तरह,

 और मन में विश्वास है कि 'वो आएंगे' मीरा की तरह,

 कब आओगे प्रभु?इस जीवन से मुक्ति देने और कितना पश्चाताप कराओगे कैकेयी की तरह? 

आ जाओ प्रभु, 

आ जाओ




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Beautiful waveWhere stories live. Discover now