आजकल हर दूसरे दिन कोइ ना कोइ बढी खबर आंतकवादी हमली की बनने लगी है. एक वेश्विक समस्या ... मै चाहता हू इस लेख के माध्यम से इसके उपर गंभीरता से विचार हो की इसमें आम आदमी का रोल क्या हो. यह एक गंभीर विषय है हां कभी कभी सिरियस भी होना चाहिये...क्योंकी सबसे ज्यादा जान माल का नुकसान हमारे जेसे आम आदमी का ही होता है. मुझे मालुम है की यह सब आसान नही है . जब बहुत साल पहले इस लेख को मेने ब्लोग पर लिखा था तो इस बारे मे मिश्रित प्रक्रिया हुई थी...So read...n comment! कम से कम यह बताने के लिये की मे कंहा गलत हू. एक वैचारिक स्पष्टता आ जाये तो उस पर अमल करना आसान हो जायेगा. यह सही है की हमारे जेसों की कोन सुनेगा. कम से कम हम आप एक दूसरे की तो सुन ही सकते है. क्या पता सच मे हम कुछ एसा सोच पाये जो वाकई उन्हे भी सोचने पर मजबूर कर दे...
एक बार फिर मुम्बई आंतक वादी हमले का शिकार हुई. जिसने देखा दर कर सहम गया...फिर गुस्से से उबल पडा. यही तो एक आम आदमी करता है. ओर कुछ दिनों बाद हम सब कुछ भूल जायेगे , ना हमे ये दिन याद रहेगा ना हमला . हम किसी ओर मसालेदार न्यूज का मजा ले रहे होंगे , एसी न्यूज जो हमे डरा सके एक सनसनाहट भरी उत्तेजना दे सके, जिसके बारे मे हम बात कर सके. मिडिया भी एसी न्यूज को कवर करने के लिये बेसब्र होगा जिससे उनकी TRP बढ सके, उन्हे भी 24 x 7 मसाला न्यूज मिल सके.
एक बात समझ लें की यह एक युद्ध है, एक एसा युद्ध जिसमे दुशमन हमारे बीच मे ही छुपा हुआ है. यह युद्ध किन्ही दो देशों या दो धर्मों के बीच नही है, यह युद्ध है, शेतानियत और इंसानियत के बीच जिसमे धर्म, देश, रंग नस्ल तो बस बहकाने का और उन्हे हथियार बनाने का तरीका है. जब भी कोइ बम्ब फूटता है तो उसमें इंसानियत मरती है वही तो घायल होती है और शेतान कुछ ओर ताकतवर हो जाता है.
शेतान जिसकी शक्ल तो इंसानों की है पर दिमागी सोच शेतान की है . इनका कोइ देश नही है ना ही कोइ धर्म है . वो दिखते हमारे जेसे है पर सोच हम से अलग है. जिस समाज मे भी यह होते है उसका नाश करने के बारे मे ही सोचते रहते है. यह हमारे समाजिक तानेबाने की कमजोरियों को पहचान कर उसे खुद को मजबूत करने के लिये करते है. समाज मे मोजूद जंगल राज और असंतोष इनके लिये एनर्जी बूस्टर का काम करता है. इन्हे आप मौत का डर नही दिखा सकते इनके आत्म घाती दस्तों ने इसे बार-बार साबित किया है, क्योंकी यह तो एक सोच है जो मल्टी बिलियन डालर का कारोबार बन गई.