क्षमा गेरों से नही अपनों से मांगो
mail या sms पर नही
जब आमने सामने हो
तब मांगो
अनके लिये दिल मे
अगर हो कोइ खटास
तो उसे निकाल कर मांगो
भूल कर भी अंहकार, अभिमान या अहसान
आपको छू भी ना पाये
याद रहे
माफ ओरों को कर
नियति के दुशचक्र से
अपने को निकाल
भला अपना करोगे
होगा ना यह आसान
जब भी जिसके साथ
करोगे सच्चे मन से यतन
एक इश्वरीय अहसाहस से
अपने को सरोबार पाओगे
इस साइट पर जो भी कहा गया है या किसी बात का समर्थन या विरोध किया है वो मात्र एक मंथन की प्रक्रिया है कोइ अंतिम निर्णय नही. यह मंथन किसी जय और पराजय के लिये नही है वरन उस परम सत्य के करीब से जानने के लिये है जो हम सब की जिज्ञासा का मूल है. यह मंथन कोइ अदालती प्रक्रिया भी नही है जिसमे वकील अपने मुवक्किल के लिये लडता है और वही बातें अपनी मुवक्किल की सामने लाता है जिससे उसके जीतने का आसार बने रहे. उसके लिये वो अर्ध सत्य और पूर्ण झूठ का सहारा खुलकर लेता है. चाहे उसका मुवक्किल कितना ही गलत क्यों ना हो. मंथन इस सब से अलग है. क्योंकी यह खोजेगा गलत मे सही को और निकाल फेकेगा सही मे से गलत को, क्योंकी कोइ भी पूरी तरह गलत नही होता और ना ही पूरी तरह होता है सही. अगर परम सत्य को जानना है तो दोनों की बात सुननी और समझनी होगी.
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webmanthan
Sep 10, 2011 03:23AM
ना हम सच को थामेगें. ना हम झूठ को आगे नतमस्तक होगें....कोशिश तो इस सब से परे जाने की...उस का अहसाहस करने की है जो इन सब का कारक है...View all Conversations
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