रविवार का दिन था , सुबह के करीब साढ़े ग्यारह बज रहे थे। मैं अपने पांच साल के बेटे नील के साथ सैलून में बैठा था । वो बड़े ध्यान से सभी को देख रहा था । कोई बाल कटवा रहा था, कोई फेशियल करवा रहा था तो कोई मसाज और बालों में रंग लगवा रहा था । थोड़ी देर तक उन सबको देखने के बाद वो मुझसे बोला, "पापा मैं दूध नहीं पियूंगा ।" मैंने आश्चर्य से उसकी ओर देखा और बोला, "अब यहाँ दूध कहां से आ गया, तुम्हें दूध पीने को कौन कह रहा है ?" हमेशा की तरह वो झुंझला कर बोला, "अरे मैं यहाँ नहीं घर की बात कर रहा हूँ ।" मुझे समझ में आ गया ये कुछ घुमा के कह रहा है जैसा वो हमेशा करता है अपनी कोई बात मनवाने के लिए । मैं उसकी ओर घूम गया फिर उससे पूछा, "अच्छा क्यों नहीं पियोगे दूध ?" अब वो गम्भीर होकर बोला, "आप को याद है डॉक्टर ने कहा था कि अगर मैं दूध पियूंगा तो जल्दी से बड़ा हो जाउंगा, लेकिन मुझे बड़ा नहीं होना इसलिए मैं दूध नहीं पियूंगा ।" मैंने उत्सुकतावश पूछा, "मगर तुम्हें बड़ा क्यों नहीं होना? " अब उसने बहुत गंदा सा मुँह बनाया और बोला, "अरे पापा अगर मैं बड़ा हो गया तो ये अंकल मेरे मुँह पर भी ये गंदी सी क्रीम लगा देंगे । " ऐसा कह कर उसने एक आदमी की ओर इशारा किया जिसके चेहर पर सैलून वाला लड़का फेशियल की क्रीम लगा रहा था । इससे पहले की मैं कुछ बोलूं आसपास के सभी लोग जो हमारी बातें सुन रहे थे हंस पड़े।
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मैं दूध नहीं पियूंगा
ComédieA conversation between a father and a five year old son.